Special - Saraswati Homa during Navaratri - 10, October

Pray for academic success by participating in Saraswati Homa on the auspicious occasion of Navaratri.

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निःस्पृहस्य तृणं जगत्

उदारस्य तृणं वित्तं शूरस्य मरणं तृणम् ।
विरक्तस्य तृणं भार्या निःस्पृहस्य तृणं जगत् ।।

 

विशाल दिल वालों के लिए धन तृण के समान होता है । शूर-वीर के लिए जान तृण के समान होती है । विरक्त व्यक्ति के लिए पत्नी तृण के समान होती है । जिस व्यक्ति की इच्छा पर संयम हो उस के लिए यह संपूर्ण जगत ही तृण के समान होता है ।

 

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वेदधारा की वजह से हमारी संस्कृति फल-फूल रही है 🌸 -हंसिका

आपको नमस्कार 🙏 -राजेंद्र मोदी

वेदधारा हिंदू धर्म के भविष्य के लिए जो काम कर रहे हैं वह प्रेरणादायक है 🙏🙏 -साहिल पाठक

गुरुजी का शास्त्रों की समझ गहरी और अधिकारिक है 🙏 -चितविलास

आप लोग वैदिक गुरुकुलों का समर्थन करके हिंदू धर्म के पुनरुद्धार के लिए महान कार्य कर रहे हैं -साहिल वर्मा

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गरुड के दूसरा नाम क्या है?

गरुड के दूसरे नाम हैं - सुपर्ण, वैनतेय, नागारि, नागभीषण, जितान्तक, विषारि, अजित, विश्वरूपी, गरुत्मान, खगश्रेष्ठ, तार्क्ष्य, और कश्यपनन्दन।

भगवान ने संसार क्यों बनाया?

उपनिषद कहते हैं - एकाकी न रमते स द्वितीयमैच्छत्। एकोऽयं बहु स्यां प्रजायेय। ईश्वर अकेले थे और उनको लगा की अकेले रहना संतुष्टिदायक नहीं है। इसलिए, उन्होंने संगती की कामना की और लोक बनाने का फैसला किया। ऐसा करने के लिए, उन्होंने स्वयं को बढ़ाया और हमारे चारों ओर सब कुछ बन गया। सृष्टि का यह कार्य विविधता और जीवन को अस्तित्व में लाने का ईश्वर का तरीका था। यह व्याख्या हमें याद दिलाती है कि संसार और इसमें विद्यमान हर वस्तु ईश्वर के आनंद की इच्छा की अभिव्यक्ति है। यह सभी प्राणियों की एकता का भी प्रतीक है, क्योंकि हम सभी एक ही दिव्य स्रोत से आए हैं।

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