आर्यों का आदि देश

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मध्य एशियावाद जैसा कि मैं पहिले अध्याय में लिख चुका हूँ आर्यों के आदिम निवास के विषय में कई मत हैं। कुछ लोगों का तो यह कहना है कि वह स्थान यूरोप में था । उनकी राय है कि यूरोप के उचर में यूराल पहाड़ से लेकर अतलान्तिक महासागर तक जो लंबा मैदान है उसी में आर्य उपजाति और उसकी भाषाओं का विश्वास हुआ। इसमें न बहुत गर्मी है न सर्दी है, न बीच में ऊंचे पहाड़ हैं, न मरुभूमि है, न अमेय जंगल है। वहीं से शाखाएं निकल निकल कर चारों ओर फैली। इस मत की पुष्टि में यह बात भी कही जाती है कि यह यूरोप के आयों की कई शाखाओं के बहुत निकट है और चूंकि एशिया की अपेक्षा यूरोप में अधिक आर्य बसते हैं इसलिये सम्भावना यह है कि वह लोग यहीं से पूर्व की ओर गये होंगे।

इस मत के प्रवर्तक क्यूनो थे । कुछ और लोगों ने भी इसका समर्थन किया । यूरोप में आर्यों का जन्म मानना यूरोपवालों के भौगोलिक अभिमान की दृष्टि से भी लोगों को जंचने की बात थी पर यह बहुत चला नहीं। अधिकांश यूरोपियन विद्वानों ने यही माना कि आर्य लोगों का घर मध्य एशिया में था। आज भी जब कि दूर तक फैली हुई आर्य उपजाति का अस्तित्व अमान्य हो गया है, पश्चिम में मध्य एशियावाद का ही बोलबाला है। 

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