शिव धुन - ॐ नमः शिवाय

 

ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय
रामेश्वराय शिव रामेश्वराय
हर हर भोले नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय
गंगाधराय शिव गंगाधराय
हर हर भोले नमः शिवाय
ॐ नमः‌ शिवाय
हर हर बोले नमः शिवाय
जटाधराये शिव जटाधराये
हर हर भोले नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय
सोमेश्वराय शिव सोमेश्वराय
हर हर भोले नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
हर हर बोले नमः शिवाय
विश्वेश्वराय शिव विश्वेश्वराय
हर हर भोले नमः शिवाय
ॐ नमः‌ शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय
कोटेश्वराये शिव विश्वेश्वराय
हर हर भोले नमः शिवाया
ॐ नमः शिवाय
हर हर भोले नमः शिवाय

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हिंदू धर्म में आरती क्या है?

आरती करने के तीन उद्देश्य हैं। १. नीरांजन - देवता के अङ्ग-प्रत्यङ्ग चमक उठें ताकि भक्त उनके स्वरूप को अच्छी तरह समझकर अपने हृदय में बैठा सकें। २. कष्ट निवारण - पूजा के समय देवता का भव्य स्वरूप को देखकर उनके ऊपर भक्तों की ही नज़र पड सकती है। छोटे बच्चों की माताएँ जैसे नज़र उतारती हैं, ठीक वैसे ही आरती द्वारा देवता के लिए नज़र उतारी जाती है। ३, त्रुटि निवारण - पूजा में अगर कोई त्रुटि रह गई हो तो आरती से उसका निवारण हो जाता है।

हरिद्वार में कौन सी माताजी का मंदिर है?

हरिद्वार में माताजी के तीन मंदिर प्रसिद्ध हैं - चंडी देवी मंदिर, माया देवी मंदिर, मनसा देवी मंदिर।

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