स्थान, संग और समय आदमी को भला या बुरा कर सकते हैं

Listen to the audio above

ram, seetha, and hanuman

 

 

 

 

ग्रह भेषज जल पवन पट पाइ कुजोग सुजोग। होहि कुबस्तु सुबस्तु जग लखहिं सुलच्छन लोग।।7(क)।। ग्रह, ओषधि, जल, वायु और वस्त्र बुरे संग को पाकर बुरे और अच्छे संग को पाकर अच्छे हो जाते हैं। यह बात आम आदमी नहीं समझ पाएगा। इसे ज्योत....

ग्रह भेषज जल पवन पट पाइ कुजोग सुजोग।
होहि कुबस्तु सुबस्तु जग लखहिं सुलच्छन लोग।।7(क)।।

ग्रह, ओषधि, जल, वायु और वस्त्र बुरे संग को पाकर बुरे और अच्छे संग को पाकर अच्छे हो जाते हैं।
यह बात आम आदमी नहीं समझ पाएगा।
इसे ज्योतिषी जैसे विशेषज्ञ ही जान पाते हैं।
नौ ग्रह आपस में शत्रु और मित्र का भाव रखते हैं।
जैसे बृहस्पति ग्रह का -
सूरे सौम्यसितावरी रविसुतो मध्योऽपरे त्वन्यथा।
बृहस्पति ग्रह स्वाभाविक रूप से शुभ ग्रह है।
बुध और शुक्र बृहस्पति के शत्रु हैं।
अगर बृहस्पति बुध और शुक्र के साथ है तो अपना शुभ फल कम ही दे पाता है।
अगर बुध ग्रह एक शुभ ग्रह के साथ हो तो शुभ फल देता है, अशुभ ग्रह के साथ हो तो अशुभ फल देता है।
चन्द्रमा अगर मेष राशि की पहली घडी में हो तो घात चन्द्र मानी जाती है।
इस प्रकार अन्य राशियों के लिए भी - वृष की पांचवीं, मिथुन की नौवीं, इस प्रकार।
चन्द्रमा जब इन घात स्थानों में हो तो कुछ भी महत्वपूर्ण कार्य नहीं करना चाहिए, उसका फल शुभ नहीं होगा।
एक ही ग्रह अलग अलग स्थानों में अलग अलग फल देता है।
ये सब ज्योतिषी लोग ही जान पाते हैं।
प्रकृति का नियम भी यही है।
स्थान और संग के अनुसार आदमी का स्वभाव भी बदलता है।
इसलिए प्रयास करो कि अच्छे स्थानों में अच्छे लोगों के साथ रहें।
ओषधियों का देखिए।
दवा को देखिए।
बीमारी की वजह क्या है, समय क्या है, रोगी दूसरा कौन सा दवा ले रहा है; ये सब देखकर ही दवा देते हैं।
बुखार मलेरिया के कारण हो सकता है, सर्दी के कारण भी हो सकता है।
अगर सर्दी वाले को मलेरिया का दवा दिया जाएं तो वह नुकसान भी कर सकता है।
यह किसको पता रहता है?
डाक्टर को।
सांप के जहर की इलाज के लिए जहर ही दिया जाता है, इसे एंटी वेनम कहते हैं।
यही अगर साधारण आदमी को दिया जाएं तो वह मर जाएगा।
यहां भी कैसा फल मिलेगा यह स्थान संग और समय के ऊपर निर्भर है।
पानी गुलाब के संग से सुगंधित हो जाता है।
वही पानी में कचरा पड गया तो बदबू निकलता है।
हवा की भी यही बात है।
बगीचे के संग से सुगंधित हो जाती है, सडी हुई लाश के संग से दुर्गंधित हो जाती है।
कपडे का देखिए।
साधारण कपडा अगर किसी मूर्ति पर चढाने के बाद उसे हम प्रसाद के रू में स्वीकार करते हैं।
कपडा किसी मृतक पर चढाया हुआ है तो?

सम प्रकास तम पाख दुहुँ नाम भेद बिधि कीन्ह।
ससि सोषक पोषक समुझि जग जस अपजस दीन्ह।।7(ख)।।
चन्द्रमा को देखिए।
दो पक्ष हैं - कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष।
दोनों में चन्द्रमा प्रकाश देता है।
पर शुक्ल पक्ष में अगर चन्द्रमा पोषक है तो कृष्ण पक्ष में शोषक है।
शुक्ल पक्ष में कोई कार्य किया जाएं तो उसकी वृद्धि होती है, कृष्ण पक्ष कार्य को घटानेवाला है।
चन्द्रमा के इस स्वभाव को देखकर ही काल और फल के अनुसार उसे यश और अपयश देते हैं।
तुलसीदास जी कहते हैं स्थान, संग और समय आदमी को भला या बुरा कर सकते हैं।

Hindi Topics

Hindi Topics

जय श्रीराम

Copyright © 2024 | Vedadhara | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |