ॐ श्रीगुरुभ्यो नमः हरिःॐ संहितापाठः त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। पदपाठः त्र्यंबकमिति त्रि-अम्बकम्। यजामहे। सुगन्धिमिति सु-गन्धिम्। पुष्टिवर्धन....
ॐ श्रीगुरुभ्यो नमः हरिःॐ
संहितापाठः
त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।
पदपाठः
त्र्यंबकमिति त्रि-अम्बकम्। यजामहे। सुगन्धिमिति सु-गन्धिम्। पुष्टिवर्धनमिति पुष्टि-वर्धनम्। उर्वारुकम्। इव। बन्धनात्। मृत्योः। मुक्षीय। मा। अमृतात्।
क्रमपाठः
त्र्यंबकं यजामहे। त्र्यंबकमिति त्रि-अम्बकम्। यजामहे सुगन्धिम्। सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। सुगन्धिमिति सु-गन्धिम्। पुष्टिवर्धनमिति पुष्टि-वर्धनम्। उर्वारुकमिव। इव बन्धनात्। बन्धनान्मृत्योः। मृत्योर्मुक्षीय। मुक्षीय मा। माऽमृतात्। अमृतादित्यमृतात्।
जटापाठः
त्र्यंबकं यजामहे यजामहे त्र्यंबकन्त्र्यंबकं यजामहे। त्र्यंबकमिति त्रि-अम्बकम्। यजामहे सुगन्धिं सुगन्धिं यजामहे यजामहे सुगन्धिम्। सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं पुष्टिवर्धनं सुगन्धिं सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। सुगन्धिमिति सु-गन्धिम्। पुष्टिवर्धनमिति पुष्टि-वर्धनम्। उर्वारुकमिवेवोर्वारुकमुर्वारुकमिव। इव बन्धनाद्बन्धनादिवेव बन्धनात्। बन्धनान्मृत्योर्मृत्योर्बन्धनाद्बन्धनान्मृत्योः। मृत्योर्मुक्षीय मुक्षीय मृत्योर्मृत्योर्मुक्षीय। मुक्षीय मा मा मुक्षीय मुक्षीय मा। माऽमृतादमृतान्मा माऽमृतात्। अमृतादित्यमृतात्।
घनपाठः
त्र्यंबकं यजामहे यजामहे त्र्यंबकन्त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं सुगन्धिं यजामहे त्र्यंबकं त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिम्। त्र्यंबकमिति त्रि-अम्बकम्। यजामहे सुगन्धिं सुगन्धिं यजामहे यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं पुष्टिवर्धनं सुगन्धिं यजामहे यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं पुष्टिवर्धनं सुगन्धिं सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। सुगन्धिमिति सु-गन्धिम्। पुष्टिवर्धनमिति पुष्टि-वर्धनम्। उर्वारुकमिवेवोर्वारुकमुर्वारुकमिव बन्धनाद्बन्धनादिवोर्वारुकमुर्वारुकमिव बन्धनात्। इव बन्धनाद्बन्धनादिवेव बन्धनान्मृत्युर्मृत्योर्बन्धनादिवेव बन्धनान्मृत्योः। बन्धनान्मृत्योर्मृत्योर्बन्धनाद्बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मुक्षीय मृत्योर्बन्धनाद्बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय। मृत्योर्मुक्षीय मुक्षीय मृत्योर्मृत्योर्मुक्षीय मा मा मुक्षीय मृत्योर्मृत्योर्मुक्षीय मा। मुक्षीय मा मा मुक्षीय मुक्षीय माऽमृतादमृतान्मा मुक्षीय मुक्षीय माऽमृतात्। माऽमृतादमृतान्मा माऽमृतात्। अमृतादित्यमृतात्।
हरिःॐ
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