गणेश प्रातः स्मरण

Ganesh

प्रातः स्मरामि गणनाथ - मनाथबन्धुं 

सिन्दूरपूर - परिशोभित - गण्डयुग्मम्। 

उद्दण्डविघ्न - परिखण्डन - चण्डदण्डमाखण्डलादि - सुरनायक - वृन्दवन्द्यम्॥ 

 

श्रीगणेश जी -

जो अनाथों के बन्धु हैं,

जिनकी दोनों कनपटी सिन्दूर से शोभा पा रही हैं,

जो बडे बडे विघ्नों का विनाश करते हैं,

जिनकी वन्दना इन्द्रादि देव भी करते हैं,

उनका मैं प्रातःकाल स्मरण करता हूँ।

 

 

 

 

महाभारत के युद्ध में कितनी सेना थी?

महाभारत के युद्ध में कौरव पक्ष में ११ और पाण्डव पक्ष में ७ अक्षौहिणी सेना थी। २१,८७० रथ, २१,८७० हाथी, ६५, ६१० घुड़सवार एवं १,०९,३५० पैदल सैनिकों के समूह को अक्षौहिणी कहते हैं।

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गाय के शरीर के पिछले भाग को शास्त्र पवित्र मानता है । इसी तरह घोडे के शरीर का कौन सा भाग पवित्र है ?
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