क्या शिवजी पूरे हालाहल को पी गये थे?

Halahal coming from Samudra mathan

देवताओं और असुरों द्वारा अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन के समय, एक बहुत घोर विष निकला।

इसका नाम था हालाहल या कालकूट ।

कालकूट शब्द का अर्थ है कि काल (महाकाल - शिव) भी इसे पीने के बाद बेहोश हो गये।

 

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Shiv Amritwani Full By Anuradha Paudwal I Shiv Amritwani

 

हालाहल किसका प्रतीक है?

इस विश्व में मौजूद हर प्रकार की बुराई का प्रतिनिधित्व करता है हालाहल।

 

हालाहल निकल आने के बाद क्या हुआ ?

भगवान विष्णु ने वायु देव को उसे अपने हाथों में लेने का निर्देश दिया ।

वायु देव ने तब उस विष का एक छोटा सा अंश शिवजी को दिया।

शिवजी उसे पी गये ।

इसके परिणामस्वरूप, वे नीलकंठ (नीले गले वाले ) बन गये।

 

शिवजी उस विष को कैसे पचा पाए?

क्योंकि उन्होंने इसे भगवान विष्णु का ध्यान और नामत्रय मंत्र का जाप करने के बाद पिया था ।

पद्मपुराण उत्तरखण्ड.२३२.१८ में शिवजी स्वयं पार्वती देवी को इसके बारे में बताते हैं।

एकाग्रमनसा ध्यात्वा सर्वदुःखहरं प्रभुम् ।

नामत्रयं महामन्त्रं जप्त्वा भक्त्या समन्वितः ।

तद्विषं पीतवान् घोरमाद्यं सर्वभयङ्करम् ।

नामत्रयप्रभावाच्च विष्णोः सर्वगतस्य वै ।

विषं तदभवज्जीर्णं लोकसंहारकारकम् ॥

 

कलियुग बुरा है, लेकिन क्यों?

शिवजी ने वायु देव से विष को अपनी हथेली में लिया था ।

पीने के बाद शिवजी की हथेली में चिपके छोटे-छोटे कण पूरे विश्व में फैल गए और कलियुग की बुराई बन गए।

 

वायु देव ने पूरे विष का क्या किया?

पीकर पचा लिये।

इस घटना का उल्लेख ऋग्वेद १०.१३६.७ में मिलता है ।

वायुरस्मा उपामन्थत्पिनष्टि स्मा कुनन्नमा ।

केशी विषस्य पात्रेण यद्रुद्रेणापिबत्सह ॥

महाभारत शांति पर्व ३५१.२६-२७ में भी विष को बेअसर करने में वायु देव की भूमिका का उल्लेख है।

....नीलकण्ठत्वमुपगतः ॥

अमृतोत्पादने पुनर्भक्षणेन वायुसमीकृतस्य विषस्य…

 

कलियुग की बुराई को दबाने में भीमसेन की भूमिका।

वायु देव के पुत्र भीमसेन से सालग्राम पूजा के दौरान प्रार्थना की जाती है कि वे कलियुग की बुराई को अपनी गदा से नष्ट कर दें ।

जैसा कि आप कल्पना कर सकते हैं, हालाहल के कुछ ही कण विश्व भर में फैले हैं, और वे इतनी सारी समस्याएं पैदा कर रहे हैं।

हमारे देवता लोग हम पर कितने दयालु हैं!

उसके एक अंश मात्र को ही फैलने दिये ।



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