दुर्गा सप्तशती - अध्याय १३
ॐ ऋषिरुवाच । एतत्ते कथितं भूप देवीमाहात्म्यमुत्तमम् । ....
Click here to know more..एकदन्त गणेश मन्त्र
एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदय....
Click here to know more..शिव अष्टोत्तर शतनामावलि
ॐ शिवाय नमः । ॐ महेश्वराय नमः । ॐ शम्भवे नमः । ॐ पिनाकिने न....
Click here to know more..प्रत्येक अष्टमी और मङ्गलवार के दिन इनका दर्शन किया जाता है। देवी जी के पश्चिम बगल में हनुमान जी के मन्दिर से सटा हुआ उत्तर बगल का मंदिर भैरव मन्दिर है, जो पूर्वाभिमुख है ।
उन्मत्त भैरव तीर्थं के
उत्तर बगल में विशाल कुण्ड ( तालाब ) है ।
उन्मत्त भैरव का काशीखण्ड, काशी रहस्य और लिङ्ग पुराण में विस्तार से वर्णन है ।
३८. उन्मत्त भैरवाय नमः [ मो० देऊरा गाँव में ]
उन्मत्त भैरव के दर्शन-पूजन करने वाले भक्तों के दुःख-कष्ट और चिन्ता दूर होती है; भक्त सभी कार्यों में सफलीभूत होता है। इनके दर्शन से भूत, प्रेत, शत्रु आदि कष्ट नहीं देते। इनके मन्दिर का जीर्णोद्धार कराने के पश्चात् भक्त जो भी कामना या प्रार्थना करता है प्राप्त करता है। इसके | साथ ही उसके असाध्य रोग शान्त तोते हैं। जेल में बन्द कैदी छूट जाते हैं. और पुत्र की प्राप्ति होती है। प्रत्येक अष्टमी और मङ्गलवार के दिन इनका. दर्शन किया जाता है।
उन्मत्त भैरव के पश्चिम बंगल में सड़क के दाहिनी तरफ शंकर जी के मन्दिर में नीलकण्ठगण की मूर्ति है, जो पूर्वाभिमुख है।
नीलकण्ठगण का प्रमाण काशी रहस्य, काशी-दर्शन-यात्रा आदि में विस्तार से प्राप्त होता है ।
३९. नीलकण्ठगणाय नमः [ मो० देऊरा गांव में ]
नीलकण्ठगण के दर्शन-पूजन से धन-धान्य की प्राप्ति होती है तथा गाँव वालों की रक्षा होती है।
नीलकण्ठगण के पश्चिम बगल में सड़क के दाहिनी तरफ शकर जी को मन्दिर में जो मूर्ति पूर्वाभिमुख है वही नीलम ष्टगण है ।
नीलकण्ठगण का काशी रहस्य और काशी-दर्शन यात्रा में विस्तार से वर्णन है ।
'४०. कालकूटगणाय नमः [ मो० देऊरा गाँव में ]
कालकूटगण के दर्शन-पूजन से काल का भय नहीं होता। इनके दर्शन - करने वाला व्यक्ति अल्प समय में ही मनोरथ को पूर्ण करता है। इनके · दर्शन-पूजन से पुरवासियों की रक्षा होती है ।
कालकूटगण के पश्चिम वगल में सड़क से दाहिनी तरफ देवी के मन्दिर 'मैं विमला देवी की प्रतिमा है, जो पूर्वाभिमुख है ।
विमला देवी जी का काशी रहस्य, काशी भंभव, काशी- वार्षिक यात्र • आदि में विस्तृत वर्णन है ।
-४०. विमला दुर्गा देव्यै नमः [मो० देऊरा गांव में ]
विमला देवी के दर्शन-पूजन करने वाले भक्तों को देवी धन-धाम •और सुख के साधन देकर सुखी बनाती हैं और पुरवासियों की कल्या करती हैं ।
अतः भक्तों को प्रत्येक अष्टमी के दिन दर्शन-पूजन करना चाहिए। विमला देवो के पश्चिम बगल में सड़क के दाहिनी तरफ शंकर जी
मन्दिर में महादेवेश्वर का लिंग है। काशी खण्ड, शिव पुराण एवं
होता है।
महादेवेश्वर का प्रमाण काशी रहस् लिंगपुराण में विस्तार से प्राप
४१. महादेवेश्वराय नमः [मो० देऊरा गाँव में]
महादेव के दर्शन-पूजन से शिव-शक्ति-गणेश और विष्णु की भक्ति प्राप् होती है और साथ ही घन, विद्या, सुख तथा शान्ति की वृद्धि होती है।
महादेव के पश्चिम बगल में सड़क के दाहिनी तरफ शंकरजी के मन्दि 'मैं नन्दीकेश्वर का लिंग है जिनका प्रमाण-नन्दी उप पुराण. काशी रह और काशीखण्ड में विस्तृत रूप में प्राप्त होता है।
४२. नन्दीकेश्वराय नमः [ मो० देऊरा गाँव मे ]
होता है । इनके दर्शन से शत्रु परास्त होते हैं और शंकर-भवानी की भक्ति प्राप्त होती है।
नन्दीकेश्वर के पश्चिम बगल में सड़क के दाहिनी तरफ शंकर जी के मन्दिर में भृगीरीगण की प्रतिमा है जो पूर्वाभिमुख है ।
काशी रहस्य और शिव पुराण में भृंगीरीटगण का विस्तार से वर्णन है ।
४३. भृंगीरीटगणाय नमः [ मो० देऊरा गाँव में ]
भृगोरीटगण के दर्शन-पूजन से सम्पूर्ण कार्य सफल होते हैं । ये गाँव वालों की रक्षा भी करते हैं।
भृंगीरीटगण के पश्चिम बगल में सड़क के दाहिनी तरफ गौरा गाँव में शङ्कर जी के मन्दिर में गणप्रियेश्वर का लिंग है। काशी रहस्य और शिव पुराण में इनका विस्तार से वर्णन है ।
४४. गणप्रियेश्वराय नमः [मो० गौरा गाँव में]
गणप्रिय अपने दर्शन-पूजन करने वाले भक्तों को दुःख और दरिद्रता को दूर करते हैं और पुरवासियों की रक्षा करते हैं ।
गणप्रियेश्वर से पश्चिम बगल में शङ्कर जी के मन्दिर में विरुपाक्ष गण हैं,. जो पूर्वाभिमुख हैं । विरुपाक्षगण का प्रमाण काशी रहस्य और शिव पुराण में है ।
४५ विरुपाक्षगणाय नमः [ मो० गौरागांव में ] विरुपाक्षगण के दर्शन- पूजन करने वाला भक्त सब कार्य में सफल होता है और ये गाँव वालों की रक्षा करते हैं। विरुपाक्षगण से पश्चिम बगल में चकमातलदेई गाँव में सड़क के दाहिनी तरफ शंकरजी के मन्दिर में यक्षेश्वर हैं ।
४६ यक्षेश्वराय नमः [ चक्रमातलदेई गाँव में ] यक्षेश्वर के दर्शन- पूजन से मनुष्य बुद्धिमान और चतुर होता है तथा पुरवासियों को सुख प्राप्त होता है । यक्षेश्वर के पश्चिम प्रयागपुर गाँव में सड़क की दाहिनी तरफ शंकर जी के मन्दिर में विमलेश्वर की प्रतिमा है। विमलेश्वर का
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