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करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा

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मैं आपकी कृपा चाहता हूं, हे भगवान शिव, मेरे हाथ, पैर, वाणी, कर्म, कान, आंख या मन के पापों के लिए मुझे क्षमा करें ।😌 -Kapil Pansare

जय भोले बाबा 🙏🙏🙏🙏🙏🌹 -Vijay Kaushal

यह वेबसाइट बहुत ही उपयोगी और ज्ञानवर्धक है।🌹 -साक्षी कश्यप

वेद पाठशालाओं और गौशालाओं के लिए आप जो कार्य कर रहे हैं उसे देखकर प्रसन्नता हुई। यह सभी के लिए प्रेरणा है....🙏🙏🙏🙏 -वर्षिणी

वेदधारा का प्रभाव परिवर्तनकारी रहा है। मेरे जीवन में सकारात्मकता के लिए दिल से धन्यवाद। 🙏🏻 -Anjana Vardhan

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करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा ।
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम ।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व ।
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेवशम्भो ॥

 

हे करुणा के सागर, श्रीमहादेव शम्भु! कर, चरण, वाणी, शरीर, कर्म, श्रवण, नेत्र या मन से जाने-अनजाने में जो भी अपराध हुआ हो, कृपया उसे क्षमा करें।

करचरणकृतं (कर द्वारा और चरण द्वारा किया हुआ) वाक्कायजं (वाणी और शरीर से किया हुआ) कर्मजं वा (कर्म से उत्पन्न हुआ) श्रवणनयनजं वा (श्रवण और नेत्र द्वारा किया हुआ) मानसं वा (मन से किया हुआ) अपराधम् (अपराध) विहितम् (निर्धारित) अविहितम् वा (अनिर्धारित) सर्वम् एतत् (यह सब) क्षमस्व (क्षमा करें) जय जय (विजयी हो) करुणाब्धे (करुणा के सागर) श्रीमहादेवशम्भो (हे श्रीमहादेव शम्भु)।


यह श्लोक भगवान शिव से समर्पण और क्षमा की प्रार्थना है। इसमें बताया गया है कि मनुष्य से जाने-अनजाने में जो भी गलतियाँ होती हैं, चाहे वे किसी भी प्रकार की हों, उन सभी के लिए भगवान शिव से क्षमा की प्रार्थना की जाती है।

श्लोक के जाप के लाभ:
इस श्लोक का नियमित जाप करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है और उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है। भगवान शिव की कृपा से जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं और भक्त को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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घर के लिए कौन सा शिव लिंग सबसे अच्छा है?

घर में पूजा के लिए सबसे अच्छा शिव लिंग नर्मदा नदी से प्राप्त बाण लिंग है। इसकी ऊंचाई यजमान के अंगूठे की लंबाई से अधिक होनी चाहिए। उत्तम धातु से पीठ बनाकर उसके ऊपर लिंग को स्थापित करके पूजा की जाती है।

भगवान के नामों का जाप करने के लिए कोई प्रतिबंध या नियम हैं?

भगवान विष्णु के पवित्र नामों का गायन सभी समय और स्थानों पर किया जा सकता है। इस भगवान के कीर्तन (जाप) के लिए कोई अशुद्धता का सवाल ही नहीं उठता जो सदा पवित्र हैं। भगवान की उपासना के लिए समय, स्थान या शुद्धता पर कोई प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि वे हमेशा पवित्र होते हैं। यह दर्शाता है कि कोई भी कृष्ण, गोविंद और हरि के नामों का जाप हमेशा कर सकता है, चाहे परिस्थिति या व्यक्ति की शुद्धता की स्थिति कुछ भी हो। ऋषि पुष्टि करते हैं कि भगवान भक्त की शुद्धता या अशुद्धता से दूषित नहीं होते। इसके विपरीत, भगवान भक्त को शुद्ध करते हैं और उन्हें स्वीकार करते हैं, जो उनकी परम पवित्रता को दर्शाता है।

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