सुनने के लिए ऊपर ऑडियो प्लेयर पर क्लिक करें
एक बार सूर्य देव जगत को जलाने के लिए उतर गये। इसके पीछे कारण क्या है जानिए।
सूर्य का गुरु देवगुरु बृहस्पति हैं।
मेष राशि में स्थित होने पर सूर्य मजबूत होता है। मेष राशि के दसवां अंश में सूर्य सबसे अधिक मजबूत होता है।
सूर्य देव संपूर्ण जगत को नष्ट कर देना चाहते थे। क्या आपको इसके बारे में पता है? अब तक क्या हुआ, एक झलक। विनता के दो अण्डे सेने के लिए रख दिये गये। ५०० साल बाद विनता ने देखा कि कद्रू के सारे पुत्र अण्डे फोडकर बाहर आ गये। वह ....
सूर्य देव संपूर्ण जगत को नष्ट कर देना चाहते थे।
क्या आपको इसके बारे में पता है?
अब तक क्या हुआ, एक झलक।
विनता के दो अण्डे सेने के लिए रख दिये गये।
५०० साल बाद विनता ने देखा कि कद्रू के सारे पुत्र अण्डे फोडकर बाहर आ गये।
वह बेचैन हो गयी।
उसने एक अंडे को फोडकर देखा।
पर समय से पहले फोडे जाने पर उस बच्चे का शरीर कमर से नीचे अधूरा रह गया था।
यह बच्चा सूर्य देव का सारथि बन गया - अरुण।
५०० साल और बाद दूसरे अंडे को फोडकर गरुड बाहर निकल आये।
दो अंडे क्यों?
गरुड एक मुख्य देवता हैं; यह हम जानते हैं।
विश्व में अकारण कुछ भी नही होता।
अरुण का योगदान क्या है?
न केवल सूर्य देव के रथ को चलाना।
हम सब को सूर्य देव की अत्युग्र गर्मी से अरुण ही बचाता है।
इसके लिए ही अरुण का जन्म हुआ।
समुद्र मंथन के समय आपको पता है असुर राहु वेश बदलकर देवों के बीच बैठ गया था, अमृत पीने।
उसे सूर्य और चन्द्रमा ने पहचाना।
अमृत गले से नीचे उतरने से पहले श्री हरि ने सुदर्शन चक्र से उसका गर्दन काट दिया।
उसका सिर और धड अलग हो गये, पर राहु जिन्दा रह गया।
वह सूर्य और चन्द्रमा का शत्रु बन गया।
मौका मिलने पर राहु उन्हें निगल लेता है।
यह आज भी चलता आ रहा है, ग्रहण के रूप में।
सूर्य और चन्द्रमा ने सबकी भलाई के लिए यह किया था।
पर इसका परिणाम उन्हें ही सहन करना पडता है, अकेले।
बाकी देव इसके बार में कुछ करते भी नही हैं।
सहानुभूति तक नही प्रकट करते।
सूर्य देव हताश और कुपित हो गये।
सारे जगत को जला डालता हूं।
एक दिन सूर्यास्त के समय आने पर सूर्य देव अस्ताचल को छोडकर नहीं गये।
सारा जगत सूर्य के संताप से जलने लगा।
देवों और ऋषियों ने इसे देखा तो उन्हें पता चल गया कि क्या होनेवाला है।
अगले दिन सुबह सूर्य देव इतनी गर्मी के साथ प्रकट होंगे की सारा जगत एक ही क्षण में भस्म हो जाएगा।
वे सब ब्रह्मा जी के पास गये।
ब्रह्मा जी बोले - इसका समाधान पहले ही निश्चित हो चुका है।
कश्यप का जो अंगहीन पुत्र का जन्म हुआ है, उसका शरीर बहुत बडा है।
वह सूर्य के रथ के आगे सारथी बनकर बैठ जाएगा।
और गर्मी को अपने शरीर से ढांककर जगत को बचाएगा।
सूर्योदय से पहले आकाश मे जो रंग है वही अरुण है, अरुण का साक्षात स्वरूप है।
आज भी अरुण हमें सूर्य देव की गर्मी से बचाता है।
अरुण के सूर्य देव के आगे होने से ही दिन में गर्मी धीरे धीरे बढती है।
जब सूर्य देव ने ऐसा निर्णय लिया कि मैं जगत को जला डालूंगा तो गरुड ने अपने भाई को उठाकर उनके रथ के आगे रख दिया।
सूर्य देव की समस्या सुलझी नहीं है।
और अरुण अपने कर्तव्य को निभाता आ रहा है।
Astrology
Atharva Sheersha
Bhagavad Gita
Bhagavatam
Bharat Matha
Devi
Devi Mahatmyam
Ganapathy
Glory of Venkatesha
Hanuman
Kathopanishad
Mahabharatam
Mantra Shastra
Mystique
Practical Wisdom
Purana Stories
Radhe Radhe
Ramayana
Rare Topics
Rituals
Rudram Explained
Sages and Saints
Shiva
Spiritual books
Sri Suktam
Story of Sri Yantra
Temples
Vedas
Vishnu Sahasranama
Yoga Vasishta