शाबर मंत्र का भंडार

शाबर तन्त्र को प्राचीन मान्यतानुसार शिव द्वारा उपदिष्ट कहा गया है। कालान्तर में इसका वर्त्तमान में जो प्रचलित रूप प्राप्त होता है, उसे नाथ पन्थ के महायोगी गोरक्षनाथ द्वारा प्रवर्त्तित कहा गया है । यह ‘अनमिल आखर’ रूप है अर्थात् इनके मन्त्रों का कोई अर्थ विदित नहीं होता; जबकि तन्त्रजगत् में मन्त्रार्थ - ज्ञान का विशेष महत्त्व है । तन्त्र से इसका यही भेद है।

दरिद्रतानाशक मन्त्र

ॐ ऐं क्लीं क्लूं ह्रां ह्रीं हुं सः वं अपदुद्धारणाय अजामल बद्धाय लोके- श्वराय स्वर्णाकर्षण भैरवाय नम दारिद्रयविद्वेषणाय ॐ ह्रीं महाभैरवाय नमः ।

यह स्वर्णाकर्षण भैरव मन्त्र है। आधी रात के समय पश्चिम दिशा की ओर मुँह करके तेल का दीपक जलाकर इस मन्त्र का दस हजार जप करने से अवश्य ही दरिद्रता का नाश होता है।

सुख-शान्ति मन्त्र

१. ॐ नमो आदेश गुरु की धरती में बैठ्या लोहे का पिण्ड राख लगाता गुरु गोरखनाथ आवंता जावंता हांक देत धार धार मार मार शब्द सांचा फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।

मृगचर्म के आसन पर बैठकर गाय के दूध से बनी खीर की उपरोक्त मन्त्र से एक सौ आठ बार आहुतियाँ दी जायँ तो घर में कलह-क्लेश, उपद्रव, ऊपरी ताकतों का प्रभाव नष्ट होकर सुख-शान्ति स्थापित होती है।

२. बलवान बलबते बाबा हनुमान वीर हनुमान, वीर हनुमान आन करो यह कारज मोरो आन हरो सब पीर मोरी, आन हरो तुम इन्द्र का कोठा आन धरो तुम वज्र का कोठा दुहाई मच्छिन्दरनाथ की दुहाई गोरखनाथ की। किसी भी शुक्लपक्ष के शुक्रवार की रात को पीले स्वच्छ वस्त्र पहनकर पीले आसन पर बैठकर पीली ही माला से कम से कम इक्कीस माला उक्त मन्त्र का जप करें। इससे घर और बाहर दोनों ही जगह सुख-शान्ति का अनुभव होता है।

उन्नतिदायक मन्त्र

कालरूप, भैरव सतरूपा कंकड़ बना शंकर देवा जहां जाऊं कामाख्या चौरा बावन वीर चौरासी पूरा गुरु गोरखनाथ कहत सुन बूझा नाम रूप के काम सौ सूझा।
पीले रंग के स्वच्छ वस्त्र पहनकर, पीले रंग के आसन पर उत्तर दिशा की ओर मुँह करके बैठें, सामने तेल का दीपक जलाकर रखें, एक पात्र में नींबू पर सिन्दूर का तिलक लगाकर उसे अक्षतादि से पूजा कर मन्त्र का अधिकाधिक जप करें। इससे जीवन में उन्नति होती है ।

विपदानाशक मन्त्र

शेख फरीद की कामरी निसि अस अंधियारी। चारों को यालिये अनल, ओला, जल, विष ।

इस मन्त्र को ग्यारह बार उच्चारण करके तीन बार ताली बजाने से ओला, अग्नि, जल और विषादि का भय नहीं रहता है।

अचानक धनप्राप्ति का मन्त्र

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं नमः ध्वः ध्वः ।

मृगशिरा नक्षत्र में मारे गये काले हिरन की चर्म के आसन पर नदी किनारे कनकां गुदी नामक पेड़ के नीचे बैठकर इस मन्त्र का इक्कीस दिनों में एक लाख जप करने से अचानक धन प्राप्त होने की संभावना बन जाती है।

गृहबाधा नाशक मन्त्र

ॐ शं शं शिं शीं शं शं शें शैं शों शौं शं शः स्वः सं स्वाहा ।

पलाश की एक लकड़ी लेकर उस लकडी पर यह मन्त्र एक हजार आठ बार पढ़कर वह लकड़ी घर के किसी भी कोने में गाड़ देने से उस घर में रहनेवालों को किसी भी तरह की बाधा का सामना नहीं करना पड़ता।
व्यापार बढ़ाने का मन्त्र

१. भंवर वीर तू चेला मेरा खोल दुकान कहा कर मेरा उठे जो डंडी बिके माल जो माल भंवर वीर की सौंह नहीं खाली जाय।
थोड़े से काले उड़द लेकर उक्त मन्त्र से एक सौ आठ बार अभिमन्त्रित करके रविवार के दिन दुकान या व्यापार पर बिखेर देने से बिक्री में वृद्धि होती है। यह उपाय तीन रविवार तक अवश्य करना चाहिये ।

२. श्री शुक्ले महाशुक्ले कमलदल निवासिनी महालक्ष्म्यै नमः, लक्ष्मीमाई सत्य की सवाई आवो माई करो भलाई, ना करो तो समुद्र की दुहाई, ऋद्धि-सिद्धि खावोमीट तीनों नाथ चौरासी सिद्धों की दुहाई।
व्यापारिक कार्य शुरू करने से पहले उक्त मन्त्र का एक सौ आठ बार जप करने से व्यापार में बाधा पैदा नहीं होती और वृद्धि होती है। यह शीघ्र प्रभाव दिखाने वाला सिद्ध मन्त्र है ।

३. ॐ नमो सात समुद्र के बीच शिला जिस पर सुलेमान पैगम्बर बैठा, सुलेमान पैगम्बर के चार मुवक्किल पहला पूर्व को धाया देव दानवों कूं बांधि लाया दूसरा मुवक्किल पश्चिम को धाया भूत-प्रेत को बांधि लाया, तीसरा मुवक्किल उत्तर को धाया । अयुत पितर को बांधि लाया, , चौथा मुवक्किल दक्षिण को धाया डाकिनी शाकिनी को बांधि लाया, चार मुवक्किल यहु दिशि धावें हल छिद्र कोऊ रहन न पावे रोग दोष को दूर भगावे शब्द सांचा, पिण्ड कांचा, फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा |

कपड़े के चार पुतले बनाकर उन्हें एक सौ आठ मन्त्र से अभिमन्त्रित करके व्यापारिक स्थल के चारो कोनों में चारो पुतले अलग-अलग दबाकर प्रतिदिन उक्त मन्त्र का एक माला जप करते रहने से व्यापारिक बाधाएं दूर होकर व्यापार में आश्चर्यजनक रूप से लाभ होने लगता है।

४. ॐ श्रीं श्रीं श्रीं परमां सिद्धीं श्रीं श्रीं ॐ ।

प्रदोष व्रत करके एक हजार मन्त्रों का जप करें। जप के बाद अष्टगंध और नागौरी के फूलों से मन्त्र का दशांश हवन करें। इस तरह सात प्रदोष व्रत करने से व्यापार बहुत वृद्धि होती है।
में

व्यापारबंध दूर करने का मन्त्र

ॐ दक्षिण में खाय भूत-प्रेत बंध, तंत्र बंध, निग्रहनी, सर्वशत्रु संहारिणी कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ।
गुलाब, गोरोचन, छारछबीला और कपूरकचरी - समान मात्रा में लेकर पीसकर, उपरोक्त मन्त्र से इकतीस बार अभिमन्त्रित करके इस पाउडर को दुकान या व्यापार स्थल के सामने बिखेर दें। पाँच दिन प्रयोग करने से व्यापारबंध दूर होकर व्यापार चलने लगता है।

धनप्राप्ति मन्त्र

१. छिन्नमस्ता ने महल बनाया धन के कारण करम कराया तारा आई बैठकर बोली यह रही दुर्गा माँ की टोली गोरखनाथ कह सुन छिन्नी में मछिंदरनाथ की भाषा बोला।
बृहस्पतिवार के दिन पीले चमकीले आसन पर बैठकर पीले अर्क की माला से एक सौ आठ बार जप करें। इकतालीस दिन के नियमित जप से धनलाभ होता है।

२. या मुसब्बिव तल असवाल ।
इस मन्त्र को कोरे सफेद कागज पर अष्टगंध से अनार की कलम द्वारा इक्यावन सौ बार लिखकर सिद्ध कर लें। फिर एक अन्य कागज पर इस मन्त्र को लिखकर पूजा स्थल पर रखने से धनप्राप्ति के साथ घर में सुख-शान्ति भी बनी रहती है।

३. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मामगृहे धन पूरय चिन्ताम् तूरय
स्वाहा ।
प्रतिदिन सुबह दातुन करने के बाद उक्त मन्त्र का एक माला जप करते रहने से व्यापार या किसी अनुकूल तरीके से धन प्राप्त होता है।

४. ॐ नमो पद्मावती पद्मनेत्र बज्र बज्रांकुश प्रत्यक्षं भवति ।

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