Makara Sankranti Special - Surya Homa for Wisdom - 14, January

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लीलावती

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आपके द्वारा वेद मंत्रो की प्रतिदिन जानकारी दी जा रही है मुझे बहुत अच्छा लगता है -User_snjdqz

आपके वेदधारा ग्रुप से मुझे अपार ज्ञान प्राप्त होता है, मुझे गर्व कि मैं सनातनी हूं और सनातन धर्म में ईश्वर ने मुझे भेजा है । आपके द्वारा ग्रुप में पोस्ट किए गए मंत्र और वीडियों को में प्रतिदिन देखता हूं । -Dr Manoj Kumar Saini

वेदधारा के प्रयासों के लिए दिल से धन्यवाद 💖 -Siddharth Bodke

मेरे जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए दिल से शुक्रिया आपका -Atish sahu

जो लोग पूजा कर रहे हैं, वे सच में पवित्र परंपराओं के प्रति समर्पित हैं। 🌿🙏 -अखिलेश शर्मा

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आध्यात्मिक समर्पण और सांसारिक रिश्तों में संतुलन

अपने आध्यात्मिक समर्पण और सांसारिक रिश्तों में संतुलन बनाए रखें। हर दिन प्रार्थना और ध्यान के लिए समय निकालें ताकि आपकी भगवान से जुड़ाव मजबूत हो सके, साथ ही अपने परिवार की जिम्मेदारियों को प्रेम और करुणा के साथ निभाएं। समझें कि दोनों पहलू महत्वपूर्ण हैं—आपकी आध्यात्मिक प्रथाएं आंतरिक शांति और मार्गदर्शन प्रदान करती हैं, जबकि आपके रिश्ते निस्वार्थता और देखभाल व्यक्त करने के अवसर देते हैं। दोनों का सम्मान करके, आप एक पूर्ण जीवन जी सकते हैं जो आपकी आत्मा और प्रियजनों के साथ आपके संबंधों को पोषित करता है।

आरती कीजै हनुमान लला की किसकी रचना है

आरती कीजै हनुमान लला की, गोस्वामी तुलसीदास जी की रचना है।

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अंबालिका का पुत्र कौन था ?

त्रिस्कन्ध ज्योतिष शास्त्र में सिद्धान्त के अपर पर्याय के रूप में गणित शास्त्र का व्याख्यान किया गया है। वस्तुतः गणितशास्त्र एक अत्यन्त गम्भीर एवं विस्तृत शास्त्र है। यद्यपि गणित शास्त्र के बीज वैदिक साहित्य में ही विद्यमान हैं किन्तु इनका मूर्त रूप देने एवं शास्त्र को परिष्कृत कर सर्वजन सुलभ कराने का श्रेय ब्रह्मगुप्त भास्कर प्रमृति भारतीय मनीषियों को जाता है। इन वाचाय के सत्प्रयासों से गणित को व्यावहारिक रूप प्राप्त हुआ, तथा गणित को व्यवस्थित रूप से प्रतिपादित कर पठन-पाठन योग्य बनाया गया। प्रस्तुत ग्रन्थ "खीखापती" छक्त बाचायों द्वारा प्रथित गणित मणिमाला की एक मणि है। जिसका समादर विद्वद्वृन्द आज भी उसी प्रकार कर रहा है जैसा पूर्वाचायों ने किया था। आज गणित शास्त्र को प्रारम्भिक कक्षाओं में जिस रूप से प्रस्तुत किया गया है वह प्राचीन परम्परा के पूर्णतः विपरीत है। यद्यपि आधुनिक परिपाटी एक दूरगामी महत्वपूर्ण लक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुये प्रचलित की गई थी किन्तु व्यावहारिक दृष्टि से उतनी उपयोगी नहीं सिद्ध हुई जितनी अपेक्षा थी। प्राचीन परिपाटी के अन्त त जो पाठ्यक्रम बनाये गये थे उनमें गणित के व्यावहारिक पक्ष को ही प्रस्तुत किया गया था।
बचायें भास्कर द्वारा निर्मित "लीलावती" एक सुव्यस्थित प्रारम्भिक पाठप क्रम है। बाधायें भास्कर ने ज्योतिष शास्त्र के प्रतिनिधि ग्रन्थ "सिद्धान्त शिरोमणि" की रचना शक १०७३ में की थी। उस समय उनकी अवस्था ३६ वर्ष की थी। इस अल्प वयं में ही इस प्रकार के अदभुत ग्रन्थ रत्न को निर्मित कर आचार्य भास्कर ज्योतिष जगत् में भास्कर की तरह ही पूजित हुये तथा बाज भी पूजित हो रहे हैं।
सिद्धान्तशिरोमणि के प्रमुख चार विभाग है। १- व्यक्त गणित या पाटी गुणित ( लीलावती), २ व्यक्त गणित (बीजगणित ), ३ – गणिताध्याय, ४-पोला- ध्याय चारों विभाग ज्योतिष जगत् में अपनी-अपनी विशेषताओं के लिए विस्पात हैं तथा ज्योतिष के मानक ग्रन्थ के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
सिद्धान्त शिरोमणि का प्रथम भाग पाटी गणित जो लीलावती नाम से विख्यात है. आज के परिवर्तित युग में भी अपनी प्रासङ्गिकता एवं उपयोगिता अक्षुण्ण रखे हुये हैं। आचार्य भास्कर ने इस लघु ग्रन्थ में गहन गणित शास्त्र को अत्यन्त सरस ढंग से प्रस्तुत कर गागर में सागर की उक्ति को प्रत्यक्षतः चरितार्थ किया है।

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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