राधा के माता-पिता कैसे भाग्यशाली बने?

राधा के माता-पिता कैसे भाग्यशाली बने?

श्री राधा कीर्ति के गर्भ से उत्पन्न हुईं। वृषभानु उनके पिता थे। उनका घर यमुना नदी के पास एक सुंदर उद्यान में था। भाद्रपद का महीना था और शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी। देवताओं ने आकाश से पुष्पों की वर्षा की। जब श्री राधा आईं, तब नदियाँ पवित्र हो गईं। कमल की सुगंध वाली ठंडी हवा, हर जगह फैलने लगी। कीर्ति ने सबसे सुंदर कन्या को जन्म दिया। वह बहुत खुश हुई। बड़े-बड़े देवता भी उसे देखने के लिए तरस गए।

लेकिन वृषभानु और कीर्ति ने अपने पिछले जन्म में ऐसा क्या किया था कि उन्हें ऐसा सौभाग्य प्राप्त हुआ?

पिछले जन्म में वृषभानु राजा सुचंद्र थे। उनकी पत्नी का नाम कलावती था। उन्होंने गोमती नदी के किनारे लंबे समय तक तपस्या की। उन्होंने बारह वर्षों तक ब्रह्मा से प्रार्थना की। ब्रह्मा प्रकट हुए और उन्होंने कहा, 'वर माँगो।' सुचंद्र स्वर्ग जाना चाहते थे। कलावती ने कहा, 'अगर मेरे पति स्वर्ग चले गए, तो मैं अकेली रह जाऊँगी। मैं उनके बिना नहीं रह सकती। कृपया मुझे भी वही वरदान दें।' ब्रह्मा ने कहा, 'चिंता मत करो। तुम अपने पति के साथ स्वर्ग जाओगी। बाद में तुम दोनों फिर से धरती पर जन्म लोगे। तुम्हारी पुत्री के रूप में श्री राधा होगी। फिर तुम दोनों एक साथ मोक्ष प्राप्त करोगे।'

कलावती और सुचंद्र ने पृथ्वी पर वृषभानु और कीर्ति के रूप में जन्म लिया। कलावती राजा भलन्दन के यज्ञ कुंड से निकली। सुचंद्र ने सुरभानु के घर में पुनर्जन्म लिया और वृषभानु कहलाए। दोनों को अपना पिछला जन्म याद था। जो कोई भी उनके पिछले जन्म की कहानी सुनेगा, वह पापों से मुक्त हो जाएगा और भगवान कृष्ण के साथ ऐक्य को प्राप्त करेगा।

शिक्षा -

तपस्या से आशीर्वाद मिलता है: वृषभानु और कीर्ति ने लंबे समय तक तपस्या की और उन्हें श्री राधा को उनकी बेटी के रूप में पाने का आशीर्वाद मिला। इससे पता चलता है कि सच्ची भक्ति से महान पुरस्कार मिलता हैं।
भक्ति से मोक्ष मिलता है: कलावती और सुचंद्र को वृषभानु और कीर्ति के रूप में उनके जीवन के बाद मोक्ष का वादा किया गया था। एक-दूसरे और देवताओं के प्रति उनकी भक्ति ने उन्हें आध्यात्मिक मुक्ति प्रदान की।
दैवीय भाग्य: कहानी इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे भाग्य पिछले कर्मों और दिव्य आशीर्वाद से आकार लेता है। श्री राधा का जन्म दम्पति की तपस्या और ईश्वर की कृपा का परिणाम था।

हिन्दी

हिन्दी

राधे राधे

Click on any topic to open

Copyright © 2025 | Vedadhara test | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |
Vedahdara - Personalize
Whatsapp Group Icon
Have questions on Sanatana Dharma? Ask here...

We use cookies