Sitarama Homa on Vivaha Panchami - 6, December

Vivaha panchami is the day Lord Rama and Sita devi got married. Pray for happy married life by participating in this Homa.

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अघोर रुद्र मंत्र: दिव्य शक्ति से नकारात्मकता और डर पर विजय प्राप्त करें

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मंत्रों की उच्चारण की स्पष्टता सुनकर मैं अभिभूत व अभिमंत्रित महसूस करता हूँ,,, -K K PUROHIT

आपकी वेबसाइट जानकारी से भरी हुई और अद्वितीय है। 👍👍 -आर्यन शर्मा

इससे मेरा स्वास्थ्य भी बेहतर हो रहा है ... धन्यवाद -प्रियम सक्सेना

आनंद की अनुभूति होती है -User_snlyh5

कृपया मुझे और मेरे परिवार को बुरी नज़र से बचाएं -Samit Nandre

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ॐ ह्रीं स्फुर स्फुर प्रस्फुर प्रस्फुर घोर घोरतर तनुरूप चट चट प्रचट प्रचट कह कह वम वम बन्धय बन्धय खादय खादय हुं फट् स्वाहा ।

यह मंत्र अघोर रुद्र के एक शक्तिशाली, उग्र रूप का आह्वान करता है। 'स्फुर', 'प्रस्फुर', 'घोर', और 'घोरतर' जैसे अक्षरों का बार-बार प्रयोग मंत्र में एक गतिशील, तीव्र शक्ति का आह्वान करता है। 'चट चट' और 'प्रचट प्रचट' शब्द अचानक, जोरदार क्रिया या अभिव्यक्ति का संकेत देते हैं। यह मंत्र अघोर रुद्र को किसी भी बाधा या नकारात्मक प्रभाव को बाँधने ('बन्धय') और निगलने ('खादय') के लिए आमंत्रित करता है। अंतिम अक्षर 'हुं फट् स्वाहा' इस प्रबल ऊर्जा के प्रति समर्पण या संपूर्ण समर्पण का प्रतीक हैं।

इस मंत्र को सुनने से साहस और दृढ़ता की भावना जागृत हो सकती है। इसे बाधाओं को काटने और किसी के मार्ग में आने वाली किसी भी नकारात्मकता को दूर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अक्षरों की पुनरावृत्ति मन की एकाग्रता को मजबूत करती है, जिससे स्पष्टता और संकल्प प्राप्त करने की दिशा में ऊर्जा का प्रवाह होता है।

सुनने के लाभ

इस मंत्र का नियमित रूप से सुनना मानसिक शक्ति को बढ़ा सकता है और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा प्रदान कर सकता है। यह विशेष रूप से डर पर विजय पाने, व्यक्तिगत बाधाओं को तोड़ने और जीवन की चुनौतियों के प्रति एक निर्भीक दृष्टिकोण विकसित करने में प्रभावी है। इस मंत्र के शक्तिशाली कंपन नकारात्मक विचारों और भावनाओं को भी दूर करने में मदद कर सकते हैं, जिससे सकारात्मकता और विकास के लिए स्थान बनता है।

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देवकार्य से पूर्व पितरों को तृप्त करें

देवकार्यादपि सदा पितृकार्यं विशिष्यते । देवताभ्यो हि पूर्वं पितॄणामाप्यायनं वरम्॥ (हेमाद्रिमें वायु तथा ब्रह्मवैवर्तका वचन) - देवकार्य की अपेक्षा पितृकार्य की विशेषता मानी गयी है। अतः देवकार्य से पूर्व पितरों को तृप्त करना चाहिये।

सालासर बालाजी में दर्शन करने में कितना समय लगता है?

साधारण दिनों में सालासर बालाजी का दर्शन एक घंटे में हो जाता है। शनिवान, रविवार और मंगलवार को ३ से ४ घंटे लग सकते हैं।

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