यदि सन्ति गुणाः पुंसां विकसन्त्येव ते स्वयम् |
नहि कस्तूरिकामोदः शपथेन विभाव्यते ||
यदि किसी मनुष्य में अच्छा गुण है तो वह अपने आप ही फैल जाता है | उस को हमें प्रचार करने की आवश्यकता नहीं हैं | कस्तूरी के सुगंध को तो सब जानते हैं | उस को सिद्ध और उस का प्रचार नहीं करना पडता | उसी प्रकार अच्छे गुण वाले मनुष्य स्वयं ही सिद्ध और प्रकाशित हो जाएंगे |