नैना देवी मंदिर, ज्वालामुखी, चिंतपूर्णी, बज्रेश्वरी देवी मंदिर, चामुण्डा मंदिर, मनसा देवी मंदिर, जयंती देवी मंदिर।
साधारण दिनों में सालासर बालाजी का दर्शन एक घंटे में हो जाता है। शनिवान, रविवार और मंगलवार को ३ से ४ घंटे लग सकते हैं।
बहुत कम शब्दों में वैशम्पायन ने जनमेजय को महाभारत का सार सुनाया। तब जनमेजय ने कहा: मैं सब कुछ विस्तार से सुनना चाहता हूं। मेरे पूर्वज पांडव अपने गुणों के लिए कैसे प्रसिद्ध थे, वे युद्ध के मैदान में कितने भी अजेय योद्धाओं को कै....
बहुत कम शब्दों में वैशम्पायन ने जनमेजय को महाभारत का सार सुनाया।
तब जनमेजय ने कहा: मैं सब कुछ विस्तार से सुनना चाहता हूं।
मेरे पूर्वज पांडव अपने गुणों के लिए कैसे प्रसिद्ध थे, वे युद्ध के मैदान में कितने भी अजेय योद्धाओं को कैसे मार सकते थे, वे कौरवों के अत्याचारों को कैसे सहन कर पाये, यहां तक कि 10,000 हाथियों की ताकत वाले भीम, वे भी कैसे धैर्यपूर्वक इन सब को सहन कर पाये, द्रौपदी इतनी शक्तिशाली थी, एक नज़र से ही सबको राख कर सकती थी, कैसे सहती थी तिरस्कार और अपमान को, जुआ खेलना खराब है, , धर्मराज के पुत्र युधिष्ठिर को जुए की लत कैसे लग गई? इसमें उनके भाई उनका साथ क्यों दिया?
मैं सब कुछ विस्तार से जानना चाहता हूं।
वैशम्पायन ने कहा, मेरे गुरुजी द्वारा रचा गया महाभारत विशाल है।
महाभारत के एक लाक श्लोक हैं।
इसे एक निश्चित क्रम में सुनाना होगा, नहीं तो आप बीच में खो जाएंगे।
आपको बिना जल्दबाजी के सब कुछ सावधानी सुनना होगा।
तभी समझ में आएगा महाभारत।
यह इतना विशाल है।
लेकिन उससे पहले मैं आपको महाभारत सुनने के फायदों के बारे में बताता हूं।
जो कोई भी महाभारत का वर्णन करता है या महाभारत को सुनता है, वह ब्रह्मलोक को प्राप्त कर देवताओं के समान हो जाता है।
महाभारत आपको वेदों की तरह शुद्ध और पवित्र कर देता है।
महाभारत सद्गुणों का वर्णन करता है, एक सदाचारी जीवन कैसे जिएं और मुक्ति को कैसे प्राप्त करें।
महाभारत एक ही समय में धर्म-शास्त्र, अर्थ-शास्त्र और मोक्ष-शास्त्र है।
महाभारत का श्रवण करने से पूर्व के सारे पाप धुल जाते हैं।
पापों को धोने का मतलब है उन पापों के दुष्परिणाम भी दूर हो जाएंगे।
यदि कोई शासक महाभारत को सुनता है, तो वह सभी शत्रुओं को परास्त कर पूरी पृथ्वी पर शासन करेगा।
महाभारत सिर्फ सुनने से ही निःसंतानों को संतान दे सकता है।
अगर कोई शासक महाभारत को सुनता है, तो आगे जाकर उनका बेटा राज करेगा या बेटी राज करेगी।
वीरं जनयते पुत्रं कन्यां वा राज्यभागिनीम्
इससे बिल्कुल साफ होता है कि हिन्दू धर्म में बेटे और बेटी में कोई भेदभाव नहीं है।
महाभारत सुनने वाले माता-पिता के बच्चे उनके प्रति स्नेही होंगे, उनके साथ प्यार और सम्मान का व्यवहार करेंगे।
महाभारत सुनने वाले मालिकों को ऐसे सेवक मिलेंगे जो उनके प्रति वफादार होंगे।
जो लोग महाभारत सुनते हैं, वे स्वस्थ हो जाते हैं।
वे धनवान और प्रसिद्ध हो जाते हैं।
उनका लंबा और आरामदायक जीवन होगा।
महाभारत में देवों, राजर्षियों और ब्रह्मर्षियों की बातें हैं जिन्होंने सर्वोत्कृष्टता को प्राप्त किया है।
महाभारत भगवान श्रीकृष्ण की महानता के बारे में बताता है।
महाभारत देवाधिदेव महादेव और देवी पार्वती और कार्तिकेय की महानता के बारे में बताता है।
अगर कॊ नारी गर्भावस्था में महाभारत को सुनती है तो उसे उत्तम संतान की प्राप्ति होगी।
यदि कोई युवा या युवती महाभारत को सुनें तो उसे उत्तम जीवनसाथी की प्राप्ति होगी।
व्यापारी लोग जो महाभारत को सुनते हैं, वे व्यापार में बहुत अच्छा करेंगे।
सैनिक, पुलिसकर्मी इन सबको महाभारत सुनने से अपने अपने कार्यों में सफलता मिलेगी।
रोज थोड़ा-थोड़ा सुनें।
लेकिन एक दिन के लिए भी महाभारत सुनना न छोड़ें।
महाभारत में विभिन्न विषयों पर बहुत सारी कहानियां हैं: गुणों के बारे में, राजाओं के बारे में, ऋषियों के बारे में, गंधर्वों के बारे में, राक्षसों के बारे में, पवित्र स्थानों के बारे में, अलौकिक शक्तियों के बारे में, युद्ध में रणनीति के बारे में।
ऐसा कुछ भी नहीं है जो आपको महाभारत में नहीं मिलेगा।
जब श्राद्ध होता है तो महाभारत के एक चौथाई श्लोक को भी अगर भोक्ताओं को सुनाया जाएं, तो पूर्वज प्रसन्न हो जाते हैं।
महाभारत का नाम महाभारत क्यॊ रखा गया इसका एक कारण यह है कि भरत वंश से जुड़ी बातें महाभारत का मुख्य विषय है।
व्यास जी को महाभारत लिखने में तीन साल लगे।
महाभारत को सुनना बहुत ही सुखद है, महाभारत बहुत ही दिलचस्प है।
महाभारत को सुनाने और सुनने से अश्वमेध और राजसूय यज्ञ करने का फल मिलता है।
मन निर्मल हो जाता है।
अच्छे गुण विकसित होते हैं।
आप जो भी करेंगे उसमें आपको सफलता मिलेगी।
धर्मे चार्थे च कामे च मोक्षे च भरतर्षभ।
यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत् क्वचित्॥
धर्म हो, अर्थ हो, काम हो, मोक्ष हो।
इनमें से किसी भी विषय पर कोई भी ग्रन्थ, जो कुछ भी उन ग्रन्थों में है, वह महाभारत में भी होगी।
महाभारत में जो नहीं है, वह आपको और कहीं नहीं मिलेगा।
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