बिजली के झटकों से दिव्य सुरक्षा का मंत्र

नमस्ते अस्तु विद्युते नमस्ते स्तनयित्नवे ।

नमस्ते अस्त्वश्मने येना दूडाशे अस्यसि ॥१॥

संयुक्त अर्थ:

वज्र (विद्युत) को नमस्कार, गरज (बिजली) को नमस्कार। पत्थर के हथियार को नमस्कार, जिससे तुम शत्रु को मारते हो।

शब्द-दर-शब्द अर्थ:

  • नमस्ते - नमस्कार

  • अस्तु - हो

  • विद्युते - बिजली को

  • नमस्ते - नमस्कार

  • स्तनयित्नवे - गरज को

  • नमस्ते - नमस्कार

  • अस्तु - हो

  • अश्मने - पत्थर के हथियार को

  • येन - जिससे

  • दूडाशे - शत्रु

  • अस्यसि - तुम मारते हो

 


 

नमस्ते प्रवतो नपाद्यतस्तपः समूहसि ।

मृडया नस्तनूभ्यो मयस्तोकेभ्यस्कृधि ॥२॥

संयुक्त अर्थ:

पहाड़ों को नमस्कार, जो शक्ति के आधार हैं। हमारी देहों और बच्चों की अपनी शक्ति से रक्षा करो।

शब्द-दर-शब्द अर्थ:

  • नमस्ते - नमस्कार

  • प्रवतो - पहाड़ों को

  • नपाद्यत - आधार

  • तपः - शक्ति

  • समूहसि - एकत्र करते हो

  • मृडया - रक्षा करो

  • नः - हमारी

  • तनूभ्यः - देहों की

  • मयः - शक्ति से

  • स्तोक - बच्चों की

  • स्कृधि - रक्षा करो

 


 

प्रवतो नपान् नम एवास्तु तुभ्यं नमस्ते हेतये तपुषे च कृण्मः ।

विद्म ते धाम परमं गुहा यत्समुद्रे अन्तर्निहितासि नाभिः ॥३॥

संयुक्त अर्थ:

पहाड़ों को नमस्कार, शक्तिशाली को नमस्कार। हम तुम्हारे सर्वोच्च धाम को जानते हैं, जो समुद्र की गहराई में, नाभि के भीतर स्थित है।

शब्द-दर-शब्द अर्थ:

  • प्रवतो - पहाड़ों को

  • नपान् - शक्तिशाली

  • नम - नमन

  • एव - अवश्य

  • अस्तु - हो

  • तुभ्यं - तुम्हें

  • नमस्ते - नमस्कार

  • हेतये - हथियार को

  • तपुषे - शक्तिशाली को

  • च - और

  • कृण्मः - करते हैं

  • विद्म - हम जानते हैं

  • ते - तुम्हारा

  • धाम - धाम

  • परमं - सर्वोच्च

  • गुहा - गुफाओं में

  • यत् - जो

  • समुद्रे - समुद्र में

  • अन्तः - भीतर

  • निहितासि - स्थित है

  • नाभिः - नाभि

 


 

यां त्वा देवा असृजन्त विश्व इषुं कृण्वाना असनाय धृष्णुम् ।

सा नो मृड विदथे गृणाना तस्यै ते नमो अस्तु देवि ॥४॥

संयुक्त अर्थ:

देवताओं ने तुम्हें अस्त्र के रूप में रचा, जो विनाशकारी शक्ति है। हमें सुरक्षा प्रदान करो और हमारी स्तुति तुम्हें प्राप्त हो, हे देवी।

शब्द-दर-शब्द अर्थ:

  • यां - जिसे

  • त्वा - तुम्हें

  • देवा - देवता

  • असृजन्त - रचा

  • विश्व - सभी

  • इषुं - अस्त्र

  • कृण्वाना - बना रहे हैं

  • असनाय - विनाश के लिए

  • धृष्णुम् - शक्तिशाली

  • सा - वह

  • नः - हमारी

  • मृड - रक्षा करो

  • विदथे - सभा में

  • गृणाना - स्तुति गाने वाले

  • तस्यै - उसे

  • ते - तुम्हारी

  • नमः - नमस्कार

  • अस्तु - हो

  • देवि - हे देवी

 


 

ये मंत्र शक्तिशाली आह्वान हैं, जो बिजली, प्राकृतिक शक्तियों और देवों के हथियारों को रक्षक के रूप में संबोधित करते हैं। इनकी शक्ति को स्वीकार करके, हम सुरक्षा और कल्याण की आशा करते हैं।

श्रवण के लाभ:

इन मंत्रों का नियमित श्रवण सुरक्षा की भावना पैदा करता है, प्रकृति की शक्ति के प्रति सम्मान बढ़ाता है, और बिजली के  झटकों से ईश्वरीय सुरक्षा की प्रार्थना करता है।

 
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