धर्म-सम्बन्धी तात्त्विक बाल-प्रश्नोत्तरी
ईश्वर क्या है?
यह तो नहीं बताया जा सकता; क्योंकि कौन कितना बड़ा विद्वान् है, यह बात उससे बड़ा विद्वान् ही ठीक-ठीक बता सकता है और ईश्वर से बड़ा कोई है नहीं। सर्वशक्तिमान् ईश्वर पूरी तरह ठीक-ठीक न जाना जा सकता है, न उसका वर्णन ही हो सकता है। लेकिन ईश्वर है, यह बात सवा सोलह आने सच्ची है। जैसे कपड़े को देखकर, उसका कोई बनानेवाला है, यह समझा जाता है, वैसे ही संसार का भी कोई बनानेवाला होना चाहिये, यह स्पष्ट है। संसार इतना नियमपूर्वक चलता है और फिर इतनी आश्चर्यजनक घटनाएँ इस संसार में होती रहती हैं कि उन घटनाओं का बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी कोई कारण नहीं समझ पाते। इन सब बातोंसे ईश्वरकी सत्ता सिद्ध होती है।
किसी घर या भूखंड की पूर्व और दक्षिण दिशाएं जहां मिलती हैं उस स्थान को दक्षिण-पूर्व कहते हैं । वास्तु शास्त्र में दक्षिण-पूर्व दिशा को आग्नेय कोण भी कहते हैं।
हनुमान जी भक्ति, निष्ठा, साहस, शक्ति, विनम्रता और निस्वार्थता के प्रतीक हैं। यह आपको इन गुणों को अपने जीवन में अपनाने, व्यक्तिगत विकास और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित और मार्गदर्शन करेगा।
सद्भिस्तु लीलया प्रोक्तम्
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