Special Homa on Gita Jayanti - 11, December

Pray to Lord Krishna for wisdom, guidance, devotion, peace, and protection by participating in this Homa.

Click here to participate

कंस द्वारा मारे गए देवकी के छः पुत्र पिछले जन्म में कौन थे?

ऊपर दिया हुआ ऑडियो सुनिए

76.1K
11.4K

Comments

Security Code
71504
finger point down
आपका यह उत्तर शास्त्रों पर आधारित है। धन्यवाद। -DS Das

आपकी वेबसाइट ज्ञान और जानकारी का भंडार है।📒📒 -अभिनव जोशी

आपकी वेबसाइट बहुत ही अद्भुत और जानकारीपूर्ण है। -आदित्य सिंह

😊😊😊 -Abhijeet Pawaskar

जो लोग पूजा कर रहे हैं, वे सच में पवित्र परंपराओं के प्रति समर्पित हैं। 🌿🙏 -अखिलेश शर्मा

Read more comments

कंस द्वारा मारे गए देवकी के छः पुत्रों के पिछले जन्मों के बारे में जानें। 

ऋषि व्यास श्रीकृष्ण के जन्म का वर्णन कर रहे हैं।

जब जनमेजय ने सुना कि कंस ने कृष्ण के छः भाइयों को मार डाला, तो उन्होंने जानना चाहा कि उनके पिछले जन्मों में इन बच्चों ने ऐसा कौन सा पाप किया होगा कि जन्म होते ही उनकी मृत्यु हो गयी।

पिछले प्रकरण में हमने देखा कि देवर्षि नारद ने कंस को इन बच्चों को भी मारने के लिए उकसाया था।

जब वसुदेव अपने पहले बच्चे को लेकर कंस के पास आए, तो कंस ने उन्हें इसे वापस ले जाने के लिए कहा।

केवल आठवां बच्चा ही कंस के लिए खतरा होगा।

तभी नारद जी आए और उन्होंने कंस से कहा कि वह इस विषय में कोई जोखिम न उठायें। 

नारद जी हमेशा देवों के पक्ष में रहते हैं, देवर्षि हैं वे।

फिर उन्होंने ऐसा क्यों किया?

उन्होंने भगवान कृष्ण के छः भाइयों को कंस द्वारा क्यों मरवाया? 

इसके पीछे एक वजह है। 

वसुदेव और देवकी के ये छः पुत्र  स्वायंभुव मन्वंतर के छः मुनियों के पुनर्जन्म थे।

स्वायंभुव मन्वंतर इस कल्प का सर्वप्रथम मन्वंतर है।

कल्प, ब्रह्मांड के अस्तित्व की अवधि है जो है ४.३२ अरब वर्ष।

यह १४ मन्वंतरों में विभक्त है।

वर्तमान में, हम ७वें मन्वंतर में हैं। 

ये ६ मुनि सबसे पहले मन्वंतर के थे।

उन्हें षड्गर्भ कहते थे।

वे सभी मरीची के पुत्र थे।

मरीची ब्रह्मा के १० मानसपुत्रों में से एक हैं।

वे सभी महान विद्वान थे। 

एक दिन, षड्गर्भों ने ब्रह्मा जी का किसी बात को लेकर परिहास किया।

ब्रह्मा जी को क्रोध आ गया।

उन्होंने उन्हें कालनेमी नामक एक असुर के पुत्रों के रूप में जन्म लेने के लिए शाप दिया। 

इसके बाद उन्होंने फिर से हिरण्यकशिपु के पुत्रों के रूप में जन्म लिया।

लेकिन तब उन्हें एक हल्की सी स्मृति आई कि वे उनके दादा जी के शाप की वजह से असुरों के रूप में जन्म ले रहे थे।

उन्होंने चाहा कि ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके शाप से राहत पाएं।

इसके लिए उन्होंने तपस्या की।

ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए और उनसे वरदान मांगने को कहे।

लेकिन वे अभी भी असुर ही थे।

जो असुर मांगते थे वही उन्होंने मांगा।

कोई भी देव, गंधर्व या असुर हमें मार न सके।

ब्रह्मा जी ने उन्हें वह वरदान दिया। 

जब उनके पिता, हिरण्यकशिपु ने इस बारे में सुना, तो वह क्रोधित हो गया।

उसके ये असुर पुत्र एक देव को कैसे प्रसन्न कर सकते हैं?

देव असुरों के शत्रु हैं।

अब उन्हें शाप देने की बारी हिरण्यलकशिपु की आई।

उसने षड्गर्भों को पाताल में निर्वासित कर दिया और कहा कि वे वहां सैकड़ों हजारों वर्षों तक सोये पडे रहेंगे।

जब कालनेमी का जन्म कंस के रूप में होगा तब षडगर्भ देवकी के गर्भ से एक - एक करके जन्म लेंगे।

कंस उन सभी को मार देगा और इस प्रकार उन्हें ब्रह्मा के शाप से स्थायी राहत मिलेगी। 

नारद जी ने हस्तक्षेप किया जब कंस ने कहा कि उन्हें देवकी के पहले सात पुत्रों में कोई दिलचस्पी नहीं है।

नारद केवल मुनियों की सहायता करने का प्रयत्न कर रहे थे।

यदि कंस उन्हें नहीं मारेंगे, तो वे शाप से कैसे राहत पाएंगे? 

हमारे पुराणों की सभी घटनाएं आपस में जुड़ी हुई हैं। 

उन्हें अलग-थलग करके नहीं देखना चाहिए।

यदि आप सिर्फ इसको देखेंगे कि नारद जी ने कंस को उन बच्चों को मारने के लिए उकसाया था, तो आप भ्रमित हो जाएंगे। 

नारद जी को अक्सर गलत तरीके से, उकसाने वाले के रूप में चित्रित किया जाता है। 

यहां और हर घटना में नारद जी भलाई के लिए ही काम करते हैं।

Knowledge Bank

यात्रा शुरू करते समय या किसी स्थान में प्रवेश करते समय शुभ और अशुभ संकेत -

सफेद कपड़े पहने, मीठे और सुखद शब्द बोलने वाला सुंदर पुरुष, यात्रा के दौरान या प्रवेश पर सफलता लाता है। इसी प्रकार सजी हुई महिलाएं भी सफलता लाती हैं। इसके विपरीत, बिखरे हुए बाल, घमंडी, विकलांग अंगों वाले, नग्न, तेल में लिपटे, मासिक धर्म, गर्भवती, रोगी, मलयुक्त, पागल या जटाओं वाले लोगों को देखना अशुभ होता है।

इल्वल और वातापी कौन थे?

स्कंद पुराण के अनुसार इल्वल और वातापी ऋषि दुर्वासा और अजमुखी के पुत्र हैं। उन्होंने अपने पिता से कहा कि वे अपनी सारी शक्ति उन्हें दे दें । दुर्वासा को क्रोध आ गया और उन्होंने श्राप दिया कि वे अगस्त्य के हाथों मर जाएंगे।

Quiz

षोडश संस्कार कहां वर्णित हैं ?

कंस द्वारा मारे गए देवकी के छः पुत्रों के पिछले जन्मों के बारे में जानें।  ऋषि व्यास श्रीकृष्ण के जन्म का वर्णन कर रहे हैं। जब जनमेजय ने सुना कि कंस ने कृष्ण के छः भाइयों को मार डाला, तो उन्होंने जानना चाहा कि उनके पिछले ....

कंस द्वारा मारे गए देवकी के छः पुत्रों के पिछले जन्मों के बारे में जानें। 

ऋषि व्यास श्रीकृष्ण के जन्म का वर्णन कर रहे हैं।

जब जनमेजय ने सुना कि कंस ने कृष्ण के छः भाइयों को मार डाला, तो उन्होंने जानना चाहा कि उनके पिछले जन्मों में इन बच्चों ने ऐसा कौन सा पाप किया होगा कि जन्म होते ही उनकी मृत्यु हो गयी।

पिछले प्रकरण में हमने देखा कि देवर्षि नारद ने कंस को इन बच्चों को भी मारने के लिए उकसाया था।

जब वसुदेव अपने पहले बच्चे को लेकर कंस के पास आए, तो कंस ने उन्हें इसे वापस ले जाने के लिए कहा।

केवल आठवां बच्चा ही कंस के लिए खतरा होगा।

तभी नारद जी आए और उन्होंने कंस से कहा कि वह इस विषय में कोई जोखिम न उठायें। 

नारद जी हमेशा देवों के पक्ष में रहते हैं, देवर्षि हैं वे।

फिर उन्होंने ऐसा क्यों किया?

उन्होंने भगवान कृष्ण के छः भाइयों को कंस द्वारा क्यों मरवाया? 

इसके पीछे एक वजह है। 

वसुदेव और देवकी के ये छः पुत्र  स्वायंभुव मन्वंतर के छः मुनियों के पुनर्जन्म थे।

स्वायंभुव मन्वंतर इस कल्प का सर्वप्रथम मन्वंतर है।

कल्प, ब्रह्मांड के अस्तित्व की अवधि है जो है ४.३२ अरब वर्ष।

यह १४ मन्वंतरों में विभक्त है।

वर्तमान में, हम ७वें मन्वंतर में हैं। 

ये ६ मुनि सबसे पहले मन्वंतर के थे।

उन्हें षड्गर्भ कहते थे।

वे सभी मरीची के पुत्र थे।

मरीची ब्रह्मा के १० मानसपुत्रों में से एक हैं।

वे सभी महान विद्वान थे। 

एक दिन, षड्गर्भों ने ब्रह्मा जी का किसी बात को लेकर परिहास किया।

ब्रह्मा जी को क्रोध आ गया।

उन्होंने उन्हें कालनेमी नामक एक असुर के पुत्रों के रूप में जन्म लेने के लिए शाप दिया। 

इसके बाद उन्होंने फिर से हिरण्यकशिपु के पुत्रों के रूप में जन्म लिया।

लेकिन तब उन्हें एक हल्की सी स्मृति आई कि वे उनके दादा जी के शाप की वजह से असुरों के रूप में जन्म ले रहे थे।

उन्होंने चाहा कि ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके शाप से राहत पाएं।

इसके लिए उन्होंने तपस्या की।

ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए और उनसे वरदान मांगने को कहे।

लेकिन वे अभी भी असुर ही थे।

जो असुर मांगते थे वही उन्होंने मांगा।

कोई भी देव, गंधर्व या असुर हमें मार न सके।

ब्रह्मा जी ने उन्हें वह वरदान दिया। 

जब उनके पिता, हिरण्यकशिपु ने इस बारे में सुना, तो वह क्रोधित हो गया।

उसके ये असुर पुत्र एक देव को कैसे प्रसन्न कर सकते हैं?

देव असुरों के शत्रु हैं।

अब उन्हें शाप देने की बारी हिरण्यलकशिपु की आई।

उसने षड्गर्भों को पाताल में निर्वासित कर दिया और कहा कि वे वहां सैकड़ों हजारों वर्षों तक सोये पडे रहेंगे।

जब कालनेमी का जन्म कंस के रूप में होगा तब षडगर्भ देवकी के गर्भ से एक - एक करके जन्म लेंगे।

कंस उन सभी को मार देगा और इस प्रकार उन्हें ब्रह्मा के शाप से स्थायी राहत मिलेगी। 

नारद जी ने हस्तक्षेप किया जब कंस ने कहा कि उन्हें देवकी के पहले सात पुत्रों में कोई दिलचस्पी नहीं है।

नारद केवल मुनियों की सहायता करने का प्रयत्न कर रहे थे।

यदि कंस उन्हें नहीं मारेंगे, तो वे शाप से कैसे राहत पाएंगे? 

हमारे पुराणों की सभी घटनाएं आपस में जुड़ी हुई हैं। 

उन्हें अलग-थलग करके नहीं देखना चाहिए।

यदि आप सिर्फ इसको देखेंगे कि नारद जी ने कंस को उन बच्चों को मारने के लिए उकसाया था, तो आप भ्रमित हो जाएंगे। 

नारद जी को अक्सर गलत तरीके से, उकसाने वाले के रूप में चित्रित किया जाता है। 

यहां और हर घटना में नारद जी भलाई के लिए ही काम करते हैं।

Add to Favorites

Other languages: English

हिन्दी

हिन्दी

राधे राधे

Click on any topic to open

Copyright © 2024 | Vedadhara | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |
Vedahdara - Personalize
Whatsapp Group Icon
Have questions on Sanatana Dharma? Ask here...