भोलेनाथ और ब्रह्माजी द्वारा देवी की स्तुति
कृशे कस्यास्ति सौहृदम्
जब आग एक जंगल को जलाता है तो हवा उस का दोस्त बनकर आग का साथ ....
Click here to know more..हनुमान आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। जाके बल ....
Click here to know more..वह असुर रणभूमि में देवी के ऊपर इस प्रकार बाणों की वर्षा करने लगा, जैसे बादल मेरुगिरि के शिखर पर पानी की धारा बरसा रहा हो ॥ ३ ॥ तब देवीने अपने बाणों से उसके बाण- समूह को अनायास ही काटकर उसके घोड़ों और सारथि को भी मार डाला ॥ ४ ॥ साथ ही उसके धनुष तथा अत्यन्त ऊँची ध्वजा को भी तत्काल काट गिराया । धनुष कट जाने पर उसके अङ्गों को अपने बाणों से बींध डाला ||५॥ धनुष, रथ, घोड़े और सारथि के नष्ट हो जाने पर वह असुर ढाल और तलवार लेकर देवी की ओर दौड़ा || ६ || उसने तीखी धारवाली तलवार से सिंह के मस्तक पर चोट करके देवी की भी बायीं भुजामें बड़े वेग से प्रहार किया || ७॥ राजन् ! देवी की बाँइ पर पहुँचते ही वह तलवार टूट गयी, फिर तो क्रोध से लाल आँखें करके उस राक्षस ने शूल हाथमें लिया || ८ | और उसे उस महा- दैत्यने भगवती भद्रकाली के ऊपर चलाया । वह शूल आकाश से गिरते हुए सूर्यमण्डल की भाँति अपने तेज से प्रज्वलित हो उठा ॥ ९ ॥ उस शूल को अपनी ओर आते देख देवीने भी शूल का प्रहार किया । उससे राक्षस के शूल के सैकड़ों टुकड़े हो गये, साथ ही महादैत्य चिक्षुर की भी धज्जियाँ उड़ गयीं । वह प्राणों से हाथ धो बैठा ॥ १० ॥
महिषासुर के सेनापति उस महापराक्रमी चिक्षुर के मारे जाने पर देवताओं- को पीड़ा देनेवाला चामर हाथी पर चढ़कर आया। उसने भी देवी के ऊपर शक्तिका प्रहार किया, किंतु जगदम्बा ने उसे अपने हुंकार से ही आहत एवं निष्प्रभ करके तत्काल पृथ्वीपर गिरा दिया ।। ११-१२ ॥ शक्ति टूटकर गिरी हुईं देख चामर को बड़ा क्रोध हुआ । अब उसने शूल चलाया, किंतु देवी ने उसे भी अपने बाणोंद्वारा काट डाला ॥ १३ ॥ इतने में ही देवीका सिंह उछलकर हाथी के मस्तकपर चढ़ बैठा और दैत्य के साथ खूब जोर लगाकर बाहुयुद्ध करने लगा || १४ || वे दोनों लड़ते-लड़ते हाथी से पृथ्वीपर आ गये और अत्यन्त क्रोध में भरकर एक दूसरे पर बड़े भयंकर प्रहार करते हुए लड़ने लगा || १५ || तदनन्तर सिंह बड़े वेगसे आकाश की ओर उछला और उधर से गिरते समय उसने पंजों की मारसे चामर का सिर धड़ से अलग कर दिया || १६ || इसी प्रकार उदय भी शिला और वृक्ष आदि की मार खाकर रणभूमि में देवी के हाथ से मारा गया तथा कराल भी दाँतों, मुक्कों और थप्पड़ों की चोटसे धराशायी हो गया ॥ १७ ॥ क्रोध में भरी हुई देवी ने गदाकी चोटसे उडत का कचूमर निकाल डाला । भिन्दिपाल से वाष्कल को तथा बाणों से ताम्र और अन्धक को मौत के घाट उतार दिया || १८ || तीन नेत्रोंवाली परमेश्वरी ने त्रिशूल से उम्रास्य, उग्रवीर्य तथा महाहनु नामक दैत्य को मार डाला॥१९॥ तलवार की चोट से विडाल के मस्तक को धड़से काट गिराया। दुर्धर और दुर्मुख – इन दोनों को भी अपने बाणों से यमलोक भेज दिया || २० ||
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