Pratyangira Homa for protection - 16, December

Pray for Pratyangira Devi's protection from black magic, enemies, evil eye, and negative energies by participating in this Homa.

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इस प्रवचन से जानिए- १. गौ माता क्या क्या आशीर्वाद देती है २. गौ हत्या का फल क्या है?

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हैहय वंश क्या है?

हैहय साम्राज्य मध्य और पश्चिमी भारत में चंद्रवंशी (यादव) राजाओं द्वारा शासित राज्यों में से एक था। हैहय राजाओं में सबसे प्रमुख कार्तवीर्य अर्जुन थे, जिन्होंने रावण को भी हराया था। इनकी राजधानी माहिष्मती थी। परशुराम ने उनका सर्वनाश कर दिया।

गाय को मारने से क्या होता है?

गाय को मारना ब्रह्महत्या के समान है। गाय को मारनेवाला कालसूत्र नामक नरक में जाता है। गाय को डंडे मारने वाले के हाथ काटे जाएंगे यमलोक में। जिस देश में गोहत्या होती है वह देश प्रगति नहीं करती है। वहां के लोग निष्ठुर, पापी, तामसिक और शूरता से रहित बन जाते हैं।

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इनमें से यज्ञवृक्ष कौन सा नहीं है ?

वराह अवतार के समय भगवान की माया ने अचानक तीनों लोकों से सारा दूध हटा दिया था। देवता लोग परेशान हो गए। दूध के बिना घी कैसे बनेगा? यज्ञ कैसे चलेंगे? वे सब ब्रह्मलोक पहुंचे और ब्रह्मा से उन्हों ने शिकायत की। ....


वराह अवतार के समय भगवान की माया ने अचानक तीनों लोकों से सारा दूध हटा दिया था।

देवता लोग परेशान हो गए।

दूध के बिना घी कैसे बनेगा?

यज्ञ कैसे चलेंगे?

वे सब ब्रह्मलोक पहुंचे और ब्रह्मा से उन्हों ने शिकायत की।

ब्रह्मा जी के आदेशानुसार देवताओं ने गौ माता की स्तुति की।

गौ माता की प्रतिष्ठा देखो।

देवता लोग भी उन की स्तुति पाठ करते हैं।

नमो देव्यै महादेव्यै सुरभ्यै च नमो नमः।
गवां बीजस्वरूपायै नमस्ते जगदम्बिके।
नमो राधाप्रियायै च पद्मांशायै नमो नमः।
नमः कृष्णप्रियायै च गवां मात्रे नमो नमः।
कल्पवृक्षस्वरूपायै प्रदात्र्यै सर्वसंपदाम्।
श्रीदायै धनदायै च बुद्धिदायै नमो नमः।
शुभदायै प्रसन्नायै गोप्रदायै नमो नमः।
यशोदायै सौख्यदायै धर्मदायै नमो नमः।

देखो गौ माता को किन किन नामों से पुकारते हैं देवता लोग।

राधाप्रिया, पद्मांशा- लक्ष्मी देवी का अंश, कृष्णप्रिया, कल्पवृक्षस्वरूपा- सारी कामनाएं प्रदान करने वाली कल्पवृक्ष है गौ माता, प्रदात्री सर्वसंपदाम्, श्रीदा, धनदा- धन दौलत सब देने वाली है गौ माता, बुद्धिदा- बुद्धि प्रदान करने वाली है गौ माता, शुभदा, प्रसन्ना, गोप्रदा- गौ संपत्ति देने वाली है गौ माता, यशोदा, सौख्यदा, धर्मदा- यश, सुख, पुण्य सब कुछ दे देती है गौ माता।

इस स्तुतिपाठ को सुनकर गौ माता प्रसन्न हुई।

ब्रह्मलोक में प्रकट होकर उन्हों ने इन्द्र को वरदान दिया जिससे सारे त्रिलोक फिर से दूध से समृद्ध हो गए।

यज्ञ अनुष्ठान शुरू हो गए और देव भी यज्ञ में भाग लेकर प्रसन्न हो गए।

ये सब कुछ गौ माता के आशीर्वाद से हुआ।

ब्रह्मवैवर्त पुराण प्रकृति खंड में कहा गया है- खाती हुई या जल पीती हुई गाय को रोकने से ब्रह्महत्या के समान पाप लगता है।

गाय को अपना झूठा नहीं खिलाना चाहिए।

गाय के ऊपर अपना पैर कभी लगना नहीं चाहिए।

गाय को डंडे से मारना नहीं चाहिए।

जो भी त्योहार या विशेष पूजा, जिसमें गायों को खुश नहीं किया हो वह अधूरा ही रह जाएगा।

उसी पुराण के श्रीकृष्ण खंड में बोला है- सारे देवता गाय के शरीर में रहते हैं।

सारे पावन पवित्र तीर्थ उनके खुरों में रहते हैं।

लक्ष्मी देवी गाय के पृष्ठभाग में रहती है।

उस मिट्टी से तिलक लगाना चाहिए जिस में गाय का पैर लगा हो।

उस के बाद तुम्हें किसी भी तीर्थ में स्नान करने की जरूरत नहीं है।

पद पद पर तुम्हारी रक्षा होगी।

जिस जगह पर गाय रहती है वहां देहांत होने पर आदमी को तुरंत ही मोक्ष मिल जाता है।

ब्राह्मणानां गवामङ्गं यो हन्ति मानवाधमः।
ब्रह्महत्यासमं पापं भवेत्तस्य न संशयः।

गाय को चोट पहुंचाने वाले को मानवों में अधम कहा गया है और इस पाप को ब्रह्महत्या के समान माना जाता है।

नारायणांशान् विप्रांश्च गाश्च ये घ्नन्ति मानवाः।
कालसूत्रं च ते यान्ति यावच्चन्द्रदिवाकरौ।

कालसूत्र एक ऐसा नरक है जो तांबे से बना हुआ है।

इसके नीचे चंड आग है जो इसे गरम करती है और ऊपर से सूरज।

इतनी गरमी की आदमी न बैठ पाता है, न लेट पाता है।

एक जगह न टिक पाने की वजह से दौडता ही रहना पडता है।

इस के अलावा खाने को न मिलने की वजह से अंदर से भूख की आग।

गाय को हानि पहुंचाने वाले को इस नरक में तब तक रहना पड़ेगा जब तक सूरज चांद रहेगा।

क्योंकि गौ माता श्रीमन्नारायण का अंग है, अंश है।

गाय उत्पन्न हुई भगवान श्रीकृष्ण के शरीर से।

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गौ माता की महिमा

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