कुबेर जी कौन थे?

kuber and ravan

कुबेर जी धनाध्यक्ष देवता हैं।

ये इंद्र के नौ निधियों का भंडारी और भोलेनाथ के मित्र हैं।

विश्रवा ऋषि कुबेर जी के पिता हैं और माता है  इड़बड़ा।

ब्रह्मा जी के मानस पुत्र पुलस्त्य ऋषि इनके दादा हैं।

रावण कुबेर जी के सौतेले भाई थे।

लंकापुरी का निर्माण विश्वकर्मा द्वारा कुबेर ने ही किया था।

पर रावण ने लंका इनसे छीनकर इन्हें निकाल दिया।

इसके बाद कुबेर ने तपस्या करके देवताओ के पद को प्राप्त किया।

संसार का सारे धन और निधियां इनके अधीन में हैं।

कुबेर के एक आँख, तीन पैर तथा आठ दाँत हैं।

इनका शरीर श्वेत और विकृत है।

ये उत्तर दिशा के स्वामी और लोकपाल हैं।

इनके आयुध हैं खङ्ग, शूल और गदा और वाहन है नर (आदमी)।

कुबेर के दो पुत्र हैं - मणिग्रीव और नलकूबर; इनकी पुत्री है मीनाक्षी।

कुबेर कि राजधानी है अलकापुरी जिसे वसुधारा या वसुस्थली भी कहते हैं।

मेरु पर्वत की चोटी मंदार पर चैत्ररथ नामक इनका उपवन है। 

किन्नर इनके सेवक है तथा वित्तगोप्ता इनके भंडारी है ।

नर्मदा और कावेरी के संगमपर तपस्या करके इन्होंने महादेव से यक्ष आदियों का अधिपति होनेका वर पाया था।

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