अघोर साधना

अघोर साधना

परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु के विश्व बंधुत्व कार्य एवं विचारों को सम्पूर्ण भारत एवं विश्व के लोग आत्मसात् कर सकें ..
यह एक विलक्षण तपस्या है। उन महान संतों की जो १६६० से लेकर लगातार भारत वर्ष में सायकल यात्राएँ एवं पदयात्राएँ आयोजित करके अघोरेश्वर के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने के प्रयास में लगे हैं । अघोरेश्वर महाप्रभु के प्रिय शिष्य अवधूत संत अलखरामजी और उनके अनुयायी इस कार्य में अपने को नियोजित किए हुए हैं। इनके प्रति श्रद्धा और विश्वास को रखते हुए स्वयं को इनके मार्ग पर चलने का संकल्प करते हुए डॉ. जे. एस. यादव इस पत्रिका के प्रकाशन में सहयोग देकर अघोरेश्वर के अनुकंपा के पात्र बन गये हैं। हम इनके सुखद जीवन की कामना करते हैं।
साधनामय भक्तों यह अघोर साधना विधि की जो पुस्तिका आकार रूप में आपके हाँथ में हैं इस पुस्तक में जो भी शब्द आकार हैं यह, अघोरेश्वर महाप्रभु का स्वयं का साथनामय शरीर हैं। यदि आप उनके बताये अनुसार एक कदम भी चलेंगे तो आपको स्वयं ही उस अनन्त अज्ञात ब्रह्म, शिव, अघोरेश्वर के स्वरूप का आभास आपके अन्तः स्थल में अवश्य होगा इस ग्रंथ में जहाँ-जहाँ मांस-मछली या, अन्य ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया है, जिसका कुछ लोग विरोध करते हैं, तो यह ज्ञान सीमाबद्ध नहीं है । यह असीम है । समस्त वसुंधरा के लिए है एवं अघोर संतों के साबरी शब्द है । इसका अन्यथा अर्थ न लगायें ।
आशा है आप सद्मार्ग पर चल कर अपने ऊपर उपकार करेंगे और दूसरों पर भी उपकार करेंगे।

Ramaswamy Sastry and Vighnesh Ghanapaathi

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