आई माता मंदिर, बिलाडा, जोधपुर, राजस्थान। यहां के ज्योत से काजल जैसे केसर निकलता है।
नारद ने भगवान विष्णु से पूछा कि उनके सबसे महान भक्त कौन हैं, यह उम्मीद करते हुए कि उनका अपना नाम सुनने को मिलेगा। विष्णु ने एक साधारण किसान की ओर इशारा किया। उत्सुक होकर, नारद ने उस किसान का अवलोकन किया, जो अपनी दैनिक मेहनत के बीच सुबह और शाम को संक्षेप में विष्णु को याद करता था। नारद, निराश होकर, ने विष्णु से फिर से प्रश्न किया। विष्णु ने नारद से कहा कि वह पानी का एक बर्तन दुनिया भर में बिना गिराए घुमाएं। नारद ने ऐसा किया, लेकिन यह महसूस किया कि उन्होंने एक बार भी विष्णु के बारे में नहीं सोचा। विष्णु ने समझाया कि किसान, अपने व्यस्त जीवन के बावजूद, उन्हें प्रतिदिन दो बार याद करता है, जो सच्ची भक्ति को दर्शाता है। यह कहानी सिखाती है कि सांसारिक कर्तव्यों के बीच ईमानदार भक्ति का महान मूल्य होता है। यह इस बात पर जोर देती है कि सच्ची भक्ति को दिव्य स्मरण की गुणवत्ता और निरंतरता से मापा जाता है, चाहे दैनिक जिम्मेदारियों के बीच ही क्यों न हो, यह दर्शाती है कि छोटे, दिल से किए गए भक्ति के कार्य भी दिव्य कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
खुशी और आराम के लिए अथर्ववेद से मंत्र
यानि नक्षत्राणि दिव्यन्तरिक्षे अप्सु भूमौ यानि नगेषु द....
Click here to know more..भोलेनाथ ने कामदेव को एक नहीं दो बार भस्म किया था
भोलेनाथ ने कामदेव को एक नहीं दो बार भस्म किया था....
Click here to know more..सुरेश्वरी स्तुति
महिषासुरदैत्यजये विजये भुवि भक्तजनेषु कृतैकदये। परिवन....
Click here to know more..परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु के विश्व बंधुत्व कार्य एवं विचारों को सम्पूर्ण भारत एवं विश्व के लोग आत्मसात् कर सकें ..
यह एक विलक्षण तपस्या है। उन महान संतों की जो १६६० से लेकर लगातार भारत वर्ष में सायकल यात्राएँ एवं पदयात्राएँ आयोजित करके अघोरेश्वर के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने के प्रयास में लगे हैं । अघोरेश्वर महाप्रभु के प्रिय शिष्य अवधूत संत अलखरामजी और उनके अनुयायी इस कार्य में अपने को नियोजित किए हुए हैं। इनके प्रति श्रद्धा और विश्वास को रखते हुए स्वयं को इनके मार्ग पर चलने का संकल्प करते हुए डॉ. जे. एस. यादव इस पत्रिका के प्रकाशन में सहयोग देकर अघोरेश्वर के अनुकंपा के पात्र बन गये हैं। हम इनके सुखद जीवन की कामना करते हैं।
साधनामय भक्तों यह अघोर साधना विधि की जो पुस्तिका आकार रूप में आपके हाँथ में हैं इस पुस्तक में जो भी शब्द आकार हैं यह, अघोरेश्वर महाप्रभु का स्वयं का साथनामय शरीर हैं। यदि आप उनके बताये अनुसार एक कदम भी चलेंगे तो आपको स्वयं ही उस अनन्त अज्ञात ब्रह्म, शिव, अघोरेश्वर के स्वरूप का आभास आपके अन्तः स्थल में अवश्य होगा इस ग्रंथ में जहाँ-जहाँ मांस-मछली या, अन्य ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया है, जिसका कुछ लोग विरोध करते हैं, तो यह ज्ञान सीमाबद्ध नहीं है । यह असीम है । समस्त वसुंधरा के लिए है एवं अघोर संतों के साबरी शब्द है । इसका अन्यथा अर्थ न लगायें ।
आशा है आप सद्मार्ग पर चल कर अपने ऊपर उपकार करेंगे और दूसरों पर भी उपकार करेंगे।
Astrology
Atharva Sheersha
Bhagavad Gita
Bhagavatam
Bharat Matha
Devi
Devi Mahatmyam
Festivals
Ganapathy
Glory of Venkatesha
Hanuman
Kathopanishad
Mahabharatam
Mantra Shastra
Mystique
Practical Wisdom
Purana Stories
Radhe Radhe
Ramayana
Rare Topics
Rituals
Rudram Explained
Sages and Saints
Shiva
Spiritual books
Sri Suktam
Story of Sri Yantra
Temples
Vedas
Vishnu Sahasranama
Yoga Vasishta