उर्वशी स्वर्गलोक से ब्रह्मा द्वारा श्रापित होकर धरती पर आयी और पुरूरवा की पत्नी बन गयी थी।उन्होंने छः पुत्रों को जन्म दिया।
श्राद्धात् परतरं नान्यच्छ्रेयस्करमुदाहृतम् । तस्मात् सर्वप्रयत्नेन श्राद्धं कुर्याद् विचक्षणः ॥ (हेमाद्रिमें सुमन्तुका वचन) श्राद्धसे बढ़कर कल्याणकारी और कोई कर्म नहीं होता । अतः प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध करते रहना चाहिये।
शिक्षक और छात्रों के बीच अच्छा संबंध के लिए मंत्र
सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्यं करवावहै । तेजस्विना....
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आलस मनुष्यों को सबसे बडा शत्रु होता है । और उद्यम मनुष्यो....
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अभीप्सितार्थसिद्ध्यर्थं पूजितो यः सुरासुरैः। सर्वविघ....
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