वार्षिक श्राद्ध कब करना चाहिए

varshik shraadh

साल में ९६ अवसरों पर श्राद्ध करने का विधान शास्त्रों में बताया है।

जो लोग इतना नहीं कर पाते, वे कम से कम इन दो अवसरों पर वार्षिक श्राद्ध करें -

  • मृत्यु की तिथि पर। यह मृत्यु के मास, पक्ष और तिथि के अनुसार होता है।इसे क्षय तिथि कहते हैं।
  • आश्विन मास के पितृपक्ष में।

पुत्रानायुस्तथाऽऽरोग्यमैश्वर्यमतुलं तथा।

प्राप्नोति पञ्चेमान् कृत्वा श्राद्धं कामांश्च पुष्कलान्॥

श्राद्ध करनेवाले को पुत्र, आयु, आरोग्य, ऐश्वर्य और अभिलाषों की प्राप्ति होती है।

वार्षिक श्राद्ध के विधान में परम्परानुसार कई भेद हैं - 

  • पिण्डदान और ब्राह्मण भोजन
  • संकल्प और ब्राह्मण भोजन
  • आमान्न (कच्चा चावल, आटा, सबजी इत्यादि) का दान
92.4K

Comments

hhuuq

श्राद्ध की महिमा

श्राद्धात् परतरं नान्यच्छ्रेयस्करमुदाहृतम् । तस्मात् सर्वप्रयत्नेन श्राद्धं कुर्याद् विचक्षणः ॥ (हेमाद्रिमें सुमन्तुका वचन) श्राद्धसे बढ़कर कल्याणकारी और कोई कर्म नहीं होता । अतः प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध करते रहना चाहिये।

देवकार्य से पूर्व पितरों को तृप्त करें

देवकार्यादपि सदा पितृकार्यं विशिष्यते । देवताभ्यो हि पूर्वं पितॄणामाप्यायनं वरम्॥ (हेमाद्रिमें वायु तथा ब्रह्मवैवर्तका वचन) - देवकार्य की अपेक्षा पितृकार्य की विशेषता मानी गयी है। अतः देवकार्य से पूर्व पितरों को तृप्त करना चाहिये।

Quiz

डूंगजी - जवाहरजी को राजस्थान के किस इलाके के लोग लोक देवता के रूप में मानते हैं ?
Copyright © 2024 | Vedadhara | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |