Listen to the audio above
व्यास जी के पितामह थे शक्ति महर्षि। उनकी पत्नी थी अदृश्यन्ती।
सुरभि की चार पुत्रियां हैं- सुरूपा, हंसिका, सुभद्रा, सर्वकामदुघा। ये क्षीरसागर की पूर्व, दक्षिण, पश्चिम और उत्तर से रक्षा करती हैं।
पातञ्जल योगसूत्र समाधि पाद सूत्र संख्या २१। तीव्रसंवेगानामासन्न:। योग तो बहुत लोग करते हैं। कोई कोई समाधि तक पहुंच पाता है। उन्हें समाधि के फल की भी प्राप्ति होती है। पर बहुसंख्यक लोग समाधि तक नहीं पहुंच पाते हैं।....
पातञ्जल योगसूत्र समाधि पाद सूत्र संख्या २१।
तीव्रसंवेगानामासन्न:।
योग तो बहुत लोग करते हैं।
कोई कोई समाधि तक पहुंच पाता है।
उन्हें समाधि के फल की भी प्राप्ति होती है।
पर बहुसंख्यक लोग समाधि तक नहीं पहुंच पाते हैं।
यह मत भूलिए कि योगाभ्यास का लक्ष्य ही समाधि को पाना है।
जो समाधि तक पहुंचते हैं उनमें भी कोई कोई जल्दी ही पहुंचता है तो किसी किसी को बहुत समय लगता है।
ऐसा क्यों?
इसका कारण बता रहा है सूत्र: तीव्रसंवेगानामासन्न:।
इस सूत्र को अगले सूत्र के साथ ही देखना चाहिए।
मृदुमध्याधिमात्रत्वात् ततोऽपि विशेषः
योगाभ्यास में संवेग या आप कितनी शक्ति लगाकर,कितना समय लगाकर, कितनी प्रतिबद्धता के साथ अभ्यास करते हैं इसके आधार पर योगियों को मृदु संवेग वाले, मध्य संवेग वाले और तीव्र संवेग वाले इस प्रकार विभाजन किया जाता है
योगाभ्यास के उपाय भी तीन प्रकार के हैं: मृदु, मध्य ओर अधिमात्र इस प्रकार।
तो मान लो आप मृदु संवेग वाले हो। उपाय के रूप में आप मृदु, मध्य या अधिमात्र ले सकते हैं।
इसी प्रकार आप तीव्र संवेग वाले हो; आपका उपाय मृदु, मध्य या अधिमात्र हो सकता है।
इन सबके कई क्रमचय और संचय बनते हैं।
जिसका संवेग भी तीव्र है और उपाय भी अधिमात्र, उसे सबसे जल्दी समाधि प्राप्त होती है।
इनके बीच के भी कई स्तर हो सकते हैं, जैसे:
तीव्र संवेग वालों में भी कोई मृदु तीव्र होता है, कॊई मध्य तीव्र होता है, कॊई अधिमात्र तीव्र होता है।
जो पचास किलो के ऊपर भार उठा सकता है उसे हम बलवान कहेंगे।
उसमें भी सब समान नहीं है
जो साठ किलो तक उठाएगा वह मृदु बलवान, जो ८०-९० तक उठाएगा वह मध्य बलवान, जो सौ से भी ऊपर उठाएगा वह अति बलवान।
इस प्रकार यहां भी उत्सुकता और प्रतिबद्धता रूपी संवेग अनुसार और उपाय के अनुसार कई क्रमचय और संचय बनते हैं।
अधिमात्रतीव्र संवेग जिसको है और जो अधिमात्र उपाय को अपनाता है, उसे सबसे शीघ्रता से असंप्रज्ञात समाधि की प्राप्ति होती है।
किसी का संवेद मृदु क्यों है या तीव्र क्यों है, यह तो पूर्व जन्म से आई हुई वासनाओं के ऊपर निर्भर होता है।
दिव्य कथाओं को सुनने से क्या लाभ है?
जानिए - नैमिषारण्य की महिमा, दिव्य कथाओं को सुनने से क्या ....
Click here to know more..सुरक्षा के लिए देवी काली मंत्र
ॐ नमो भगवति क्षां क्षां रररर हुं लं वं वटुकेशि एह्येहि सं....
Click here to know more..कुंज बिहारी स्तुति
कवलित इव राधापाङ्गभङ्गीतरङ्गैः । मुदितवदनचन्द्रश्चन्....
Click here to know more..Please wait while the audio list loads..
Ganapathy
Shiva
Hanuman
Devi
Vishnu Sahasranama
Mahabharatam
Practical Wisdom
Yoga Vasishta
Vedas
Rituals
Rare Topics
Devi Mahatmyam
Glory of Venkatesha
Shani Mahatmya
Story of Sri Yantra
Rudram Explained
Atharva Sheersha
Sri Suktam
Kathopanishad
Ramayana
Mystique
Mantra Shastra
Bharat Matha
Bhagavatam
Astrology
Temples
Spiritual books
Purana Stories
Festivals
Sages and Saints