इस प्रवचन से जानिए- १. कैसे ब्रह्मा जी पृथ्वी पर रहा करते थे २. पुराणों की विषय वस्तु क्या है? ३. अठारह पुराणों का विकास कैसे हुआ

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चार्वाक दर्शन के अनुसार जीवन का लक्ष्य क्या है?

चार्वाक दर्शन के अनुसार जीवन का सबसे बडा लक्ष्य सुख और आनंद को पाना होना चाहिए।

Humidity in the atmosphere - Vedic term

Veda calls humidity in the atmosphere Agreguvah (अग्रेगुवः). It is also called Agrepuvah (अग्रेपुवः) since it purifies the atmosphere.

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पृथ्वी से संबंधित रंग कौन सा है ?

हमारे सच्चे इतिहास के स्रोत हैं पुराण, रामायण और महाभारत। सबसे पहले इनके स्वरूप के बारे में समझने का प्रयास करते हैं। पुराणों की विषय वस्तु क्या है? जगत की रचना कैसे हुई? खगोल, ग्रह, नक्षत्र इनके बारे में जानकारी। भूमि ....

हमारे सच्चे इतिहास के स्रोत हैं पुराण, रामायण और महाभारत।
सबसे पहले इनके स्वरूप के बारे में समझने का प्रयास करते हैं।
पुराणों की विषय वस्तु क्या है?
जगत की रचना कैसे हुई?
खगोल, ग्रह, नक्षत्र इनके बारे में जानकारी।
भूमि में जहां जहां समुद्र, पर्वत, वन, पहाड़, द्वीप इत्यादि हैं उनके नाम, माप, विशेषताएं- इनके बारे में जानकारी।
सृष्टि से अब तक जो मुख्य घटनाएं घटी हैं उनका कथन।
धर्म, आचार, उपासना- इनकी जानकारी।
जितने वंश जिन वंशों की स्थापना मनुओं ने की- सूर्यवंश, चन्द्रवंश- इनकी वंशावली, इनके द्वारा किये गये महान कार्य।
ये इतिहास नही है तो फिर क्या है?
पुराण भी कुछ लोग समझते हैं कि इनका एक दूसरे से संबन्ध नहीं है।
एक दूसरे के विरुद्ध में बात करते हैं।
शिव पुराण में शिव को सबसे ऊंचा दिखाया है, विष्णु पुराण में विष्णु को; ये सब गलत हैं।
अष्टादश पुराणों का विकास एक क्रम से हुआ है।
सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी हैं।
सबसे पहला पुराण, ब्रह्मपुराण।
ब्रह्मा जी कहां बैठे हैं?
कमल के ऊपर, दूसरा पद्मपुराण।
कमल निकलता है विष्णु भगवान की नाभी से, तीसरा विष्णु पुराण।
भगावान विष्णु कहां लेटे हैं?
शेष के ऊपर जो वायु स्वरूपी हैं, चौथा वायु पुराण।
शेष नाग के चारों ओर समुद्र; समुद्र-जल-नारायण।
जल जिनका मार्ग है वे हैं नारायण, पाँचवा भागवत।
जिसके कहने पर भागवत लिखा गया?
नारद, छठा नारद पुराण।
सृष्टि के बारे में कई मत भेद हैं।
आगे के चार पुराणों में इनका कथन है।
सातवां, मारकण्डेय पुराण- इसमें सृष्टि सत्वरजस्तमोगुणों से हुई है ऐसा बताया है।
अष्टम में सृष्टि के मूल के रूप में अग्नि को माना है, आठवां अग्नि पुराण।
नवां, भविष्य पुराण जिसमें सृष्टि के मूल के रूप में सूर्य को माना है।
सृष्टि को ब्रह्मा का ही विवर्त, विकार कहते हैं, दसवां ब्रह्मवैवर्त पुराण।
आगे के छः पुराण विराट पुरुष विष्णु के सृष्टि से सम्बन्धी अवतार, इन पर आधारित हैं- लिंग पुराण, वराह पुराण, वामन पुराण, स्कन्द पुराण, कूर्म पुराण, और मत्स्य पुराण।
सत्रहवां, गरुड पुराण जिसमें सृजन के बाद कर्म की उत्पत्ति, पदार्थों की उत्पत्ति- ये सब बताये गये हैं।
अठारहवां, ब्रह्माण्ड पुराण में पूरे ब्रह्माण्ड का वर्णन है।
देखिए कैसे दूसरे का पहले से विकास हुआ है या संबन्ध रहता है।
ऐसे कह सकते हैं कि एक ही पुस्तक के ये अठारह अध्याय हैं।

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