मनोवांछित संतति

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सन्तान कितनी प्रिय वस्तु है। जिसके उत्पन्न होने से वंश की वृद्धि होती है। आजकल देखने में आता है कि जब सन्तान बड़ी हो जाती है तो वह माता-पिता की आज्ञा नहीं मानती और सामना करने के लिए आ जाती है। क्या कभी हमने बैठकर विचार किया कि इसका क्या कारण है। जब मैंने इस बात को विचारा, तो तत्काल मस्तिष्क में यह प्रश्न उठा कि सन्तान उत्पन्न की जाती है या हो जाती है। खोज करने पर ज्ञात हुआ कि पहले पूर्वज सन्तान को उत्पन्न करते थे, तभी उनके सदृश गुण वाली और आज्ञानुसार कार्य करने वाली होती थी। योगीराज श्रीकृष्ण तथा उनकी पत्नी रुक्मिणी दोनों ने १२ वर्ष का ब्रह्मचर्य व्रत धारण करके अपने रज, वीर्य को शुद्ध पवित्र करके अपने सदृश प्रद्युम्न पुत्र को जन्म दिया। जिस समय प्रद्युम्न युवाकाल में आया उस समय यदि माता रुक्मिणी के सामने प्रद्युम्न अकेला आता था तो रुक्मिणी भ्रम में पड़ जाती थी कि यह पुत्र है या पति।

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