कदम्ब, सारहीन फूल या कठूमर, केवड़ा, शिरीष, तिन्तिणी, बकुल (मौलसिरी), कोष्ठ, कैथ, गाजर, बहेड़ा, कपास, गंभारी, पत्रकंटक, सेमल, अनार, धव, बसंत ऋतुमें खिलनेवाला कंद-विशेष, कुंद, जूही, मदन्ती, सर्ज और दोपहरियाके फूल भगवान् शंकरपर नहीं चढ़ाने चाहिये। वीरमित्रोदयमें इनका संकलन किया गया है११ ।
संस्कृत में शकुंत का अर्थ है पक्षी। जन्म होते ही शकुंतला को उसकी मां मेनका नदी के तट पर छोडकर चली गयी। उस समय पक्षियों ने उसकी रक्षा की थी। कण्व महर्षि को शकुंतला पक्षियों के बीच में से मिली थी। इसलिए उन्होंने उसका नाम शकुंतला रखा।
मार्शल आर्ट में सफलता के लिए मंत्र
कार्त्तवीर्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो अर्जुनः प्....
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हनुमानञ्जनासूनुर्वायुपुत्रो महाबलः| रामेष्टः फल्गुणस�....
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