पीत पीतांबर मूसा गाँधी ले जावहु हनुमन्त तु बाँधी ए हनुमन्त लङ्का के राउ एहि कोणे पैसेहु एहि कोणे जाहु। मंत्र को सिद्ध करने के लिए किसी शुभ समय पर १०८ बार जपें और १०८ आहुतियों का हवन करें। जब प्रयोग करना हो, स्नान करके इस मंत्र को २१ बार पढें। फिर पाँच गाँठ हल्दी और अक्षता हाथ में लेकर पाँच बार मंत्र पढकर फूंकें और उस स्थान पर छिडक दें जहां चूहे का उपद्रव हो।
श्रीराम जी न तो कहीं जाते हैं, न कहीं ठहरते हैं, न किसी के लिए शोक करते हैं, न किसी वस्तु की आकांक्षा करते हैं, न किसी का परित्याग करते हैं, न कोई कर्म करते हैं। वे तो अचल आनन्दमूर्ति और परिणामहीन हैं, अर्थात उनमें कोई परिवर्तन नहीं होता। केवल माया के गुणों के संबंध से उनमें ये बातें होती हुई प्रतीत होती हैं। श्रीराम जी परमात्मा, पुराणपुरुषोत्तम, नित्य उदय वाले, परम सुख से सम्पन्न और निरीह अर्थात् चेष्टा से रहित हैं। फिर भी माया के गुणों से सम्बद्ध होने के कारण उन्हें बुद्धिहीन लोग सुखी अथवा दुखी समझ लेते हैं।
हिमवत्युत्तरे पार्श्वे सुरसा नाम यक्षिणी। तस्या नूपुरशब्देन विशल्या भवतु गर्भिणी स्वाहा॥....
हिमवत्युत्तरे पार्श्वे सुरसा नाम यक्षिणी।
तस्या नूपुरशब्देन विशल्या भवतु गर्भिणी स्वाहा॥
गीता का आविर्भाव कब हुआ था?
मैं ने सबसे पहले इस योग का उपदेश दिया विवस्वान को किया। वि....
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शान्ता द्यौः शान्ता पृथिवी शान्तमिदमुर्वन्तरिक्षम् । �....
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