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आपका हिंदू शास्त्रों पर ज्ञान प्रेरणादायक है, बहुत धन्यवाद 🙏 -यश दीक्षित

वेदधारा के माध्यम से हिंदू धर्म के भविष्य को संरक्षित करने के लिए आपका समर्पण वास्तव में सराहनीय है -अभिषेक सोलंकी

आपकी वेबसाइट बहुत ही अनमोल और जानकारीपूर्ण है।💐💐 -आरव मिश्रा

आपका प्रयास सराहनीय है,आप सनातन संस्कृति को उन्नति के शिखर पर ले जा रहे हो हमारे जैसे अज्ञानी भी आप के माध्यम से इन दिव्य श्लोकों का अनुसरण कर अपने जीवन को सार्थक बनाने में लगे हैं🙏🙏🙏 -User_soza7d

आप जो अच्छा काम कर रहे हैं उसे जानकर बहुत खुशी हुई -राजेश कुमार अग्रवाल

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शिवक्षेत्र

स्वयंभू शिवलिंग के 1.5 किलोमीटर के क्षेत्र को शिवक्षेत्र कहा जाता है। शिवक्षेत्र के भीतर मृत्यु होने पर शिवसायुज्य प्राप्त होता है।

पुष्पादि चढ़ानेकी विधि

फूल, फल और पत्ते जैसे उगते हैं, वैसे ही इन्हें चढ़ाना चाहिये'। उत्पन्न होते समय इनका मुख ऊपरकी ओर होता है, अतः चढ़ाते समय इनका मुख ऊपरकी ओर ही रखना चाहिये। इनका मुख नीचेकी ओर न करे । दूर्वा एवं तुलसीदलको अपनी ओर और बिल्वपत्र नीचे मुखकर चढ़ाना चाहिये। इनसे भिन्न पत्तोंको ऊपर मुखकर या नीचे मुखकर दोनों ही प्रकारसे चढ़ाया जा सकता है । दाहिने हाथ करतलको उतान कर मध्यमा, अनामिका और अँगूठेकी सहायतासे फूल चढ़ाना चाहिये।

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ब्रह्मास्त्र किस महाविद्या से संबंधित है?

थोडा ज्ञान ज्ञान बहुत ज्ञान अज्ञान संसार में रहकर जो साधना कर सकता है वही वीर पुरुष है मरने के समय मन में जैसा भाव होता है अगले जन्म में वही गति होती है इसीलिये सदा भगवान का स्मरण करते रहो किसक�....

थोडा ज्ञान ज्ञान
बहुत ज्ञान अज्ञान

संसार में रहकर
जो साधना कर सकता है
वही वीर पुरुष है

मरने के समय मन में
जैसा भाव होता है
अगले जन्म में वही
गति होती है

इसीलिये सदा भगवान
का स्मरण करते रहो
किसको पता मरण कब आवें

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