हनुमान जी की शक्ति का आह्वान - बल, रक्षा, और दिव्य आशीर्वाद

क्या इस मंत्र को सुनने के लिए दीक्षा आवश्यक है?

नहीं। दीक्षा केवल तब आवश्यक होती है जब आप मंत्र साधना करना चाहते हैं, सुनने के लिए नहीं।

लाभ प्राप्त करने के लिए बस हमारे द्वारा दिए गए मंत्रों को सुनना पर्याप्त है।


ॐ श्रीरामपादुकाधराय महावीराय वायुपुत्राय कनिष्ठाय ब्रह्मनिष्ठाय एकादशरुद्रमूर्तये महाबलपराक्रमाय भानुमण्डलग्रसनग्रहाय चतुर्मुखवरप्रदाय महाभयनिवारकाय ये ह्रौं ॐ स्फ्रें हं स्फ्रें हैं स्फ्रें ॐ वीर ।

प्रणाम है उस महान योद्धा हनुमान को, जो भगवान राम की पवित्र पादुकाएँ धारण करते हैं। वे पवनदेव के शक्तिशाली पुत्र (वायुपुत्र) हैं, सबसे कनिष्ठ हैं परंतु सर्वोच्च ब्रह्म के प्रति अटल हैं। एकादश रुद्र के रूप में प्रकट होते हुए, वे अपार शक्ति और वीरता के प्रतीक हैं। उनके पास सूर्य मंडल को निगलने की शक्ति है और वे ब्रह्मा जी द्वारा दिए गए वरदानों का दान करते हैं। वे महान भय के निवारक हैं और पवित्र मंत्र 'ह्रौं', 'स्फ्रें', 'हं', और 'वीर' से शक्तिप्राप्त हैं।

यह श्लोक हनुमान जी के गुणों का महिमा मंडन करता है, जो भगवान राम के भक्त, उनकी शक्ति और आध्यात्मिक स्थिति को दर्शाता है। यह उनकी रक्षात्मक शक्ति और दिव्य व्यवस्था में उनके अद्वितीय स्थान पर बल देता है। इस मंत्र को सुनने से हनुमान जी के आशीर्वाद मिलते हैं, जो साहस, सुरक्षा, और आध्यात्मिक विकास के लिए लाभकारी होते हैं।

लाभ:

इस मंत्र को श्रद्धा से सुनने से कई लाभ मिल सकते हैं, जैसे कि भय का नाश, शारीरिक और मानसिक शक्ति प्राप्ति, और कठिनाइयों के समय में दिव्य सुरक्षा। यह भक्ति की भावना को बढ़ाता है और आध्यात्मिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है, जो व्यक्ति को धर्म की ओर और आंतरिक शांति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

Mantras

Mantras

मंत्र

Click on any topic to open

Copyright © 2025 | Vedadhara | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |
Vedahdara - Personalize
Whatsapp Group Icon
Have questions on Sanatana Dharma? Ask here...

We use cookies