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सुबह उठने से लेकर नहाने से पहले तक सदाचार के रूप में क्या क्या करना चाहिए, आइए जरा देखते हैं । ब्राह्म मुहूर्त में उठें । इससे स्वास्थ्य, धन, विद्या, बल और तेज की वृद्धि होती है । इस समय की हवा शीतल होती है। चांदनी में अमृत क....
सुबह उठने से लेकर नहाने से पहले तक सदाचार के रूप में क्या क्या करना चाहिए, आइए जरा देखते हैं ।
ब्राह्म मुहूर्त में उठें ।
इससे स्वास्थ्य, धन, विद्या, बल और तेज की वृद्धि होती है ।
इस समय की हवा शीतल होती है।
चांदनी में अमृत का सान्निध्य होता है ।
उठते ही सबसे पहले अपनी हथेलियों को देखें इस श्लोक को कहते हुए ।
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती ।
करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम् ॥
हाथों के अग्र भाग में लक्ष्मी देवी निवास करती है, बीच में सरस्वती देवी, हथेलियों के मूल भाग में ब्रह्मा जी ।
सबसे पहले इनका ही दर्शन करें ।
धन की देवी, विद्या की देवी और कर्त्तव्य में प्रेरित करने वाले ब्रह्मदेव ।
इसके बाद भूमि की वन्दना करें ।
क्योंकि अब आप माता भूमि देवी के ऊपर पांव रखनेवाले हैं । उनसे पहले ही क्षमायाचना करें ।
पादस्पर्शं क्षमस्व मे ।
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले ।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्व मे ॥
इसके बाद घर में जितनी मंगल वस्तुएं उपलब्ध हो उनका दर्शन करें - जैसे कि देव की मूर्ति, तुलसी, गंगाजल, सोना, चंदन, कुंकुम, चावल - ये सारी मंगल वस्तुएं हैं ।
इसके बाद घर के बडों का पैर छूएं ।
इससे आयु, कीर्ति ज्ञान शक्ति की वृद्धि होती है ।
इसके बाद देवताओं और गुरु जनों का स्मरण करें ।
इसके लिए कुछ सरल श्लोक भी हैं जो आपको इंटरनेट से भी मिल जाएगा ।
इसके द्वारा दिन सफल बन जाता है, दुश्मन लोग हानि नहीं पहुंचा पाते, जहर से आपत्ति नहीं होती जैसे भोजन की वजह से पेट में दर्द इत्यादि , दिन में पुण्य करने की इच्छा होगी, विद्या की प्राप्ति, रोग से मुक्ति, विजय, धन की प्राप्ति, भरपूर खाना पीना और विघ्नों से मुक्ति होगी।
चौबीस घंटे में हम २१६०० बार सांस लेते हैं ।
यह एक प्रकार का जप है - इसका मंत्र है हंस मंत्र ।
इसे अजपाजप कहते हैं
आपको कुछ भी करने की जरूरत नहीं है।
यह जाप अपने आप ही चौबीसों घंटे होता रहता है ।
आपको सिर्फ इस बात को समझकर हर दिन सुबह इसका भगवान के प्रति समर्पण करना है - कि मैं कल सुबह से अब तक का मेरे २१६०० अजपाजप को भगवान के प्रति समर्पित कर रहा हूं ।
सूर्योदय और शौच से पहले आधे से सवा लीटर तक पानी पीजिए ।
स्वास्थ्य के लिए यह बहुत ही अच्छा है ।
इसके बाद मल और मूत्र का त्याग ।
इसके बाद दंत धावन ।
इसके बाद व्यायाम योग इत्यादि करना है
फिर तैलाभ्यंग , तेल से मालिश - यह कुछ दिनों में वर्जित भी है जैसे कि - अमावास्या पूर्णिमा, एकादशी जैसे व्रतों के दिन, श्राद्ध के दिन, रविवार, मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार।
इसके आगे क्षौर कार्य - अमावास्या पूर्णिमा, एकादशी,चतुर्दशी, संक्रान्ति, श्राद्ध और व्रतों के दिन, मंगलवार, गुरुवार और शनिवार इन दिनों में दाढी न बनवाएं ।
ये हुए उठने से स्नान से पहले तक के सदाचार ।
खुशी और आराम के लिए अथर्ववेद से मंत्र
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Click here to know more..तीर्थों में स्नान के लिये उन्हें ढूंढकर जाना पडता है लेकिन संत जन हमें पवित्र करने हमें ढूंढकर हमारे पास आते हैं
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