अपनी मां की दुष्ट बुद्धि को पहचानने पर आदिशेष चले गये । तपस्या करने लगे । उग्र तपस्या । सिर्फ हवा पीकर । व्रतों का आचरण करके । मन और इंद्रियों को नियंत्रण में रखकर । कई जगहों पर उन्होंने तपस्या की । गन्धमादन पर्वत, प....
अपनी मां की दुष्ट बुद्धि को पहचानने पर आदिशेष चले गये ।
तपस्या करने लगे । उग्र तपस्या ।
सिर्फ हवा पीकर ।
व्रतों का आचरण करके ।
मन और इंद्रियों को नियंत्रण में रखकर ।
कई जगहों पर उन्होंने तपस्या की ।
गन्धमादन पर्वत, पुष्कर, बदर्याश्रम, गोकर्ण, हिमालय की घाटियां, प्रसिद्ध मन्दिर, दिव्य तीर्थ ।
शरीर सूखकर हड्डी और त्वचा ही बची ।
ब्रह्माजी आये आदिशेष के पास ।
यह क्या कर रहे हो ?
तुम्हारी इस घोर तपस्या के ताप से सारा जगत पीडा में है ।
क्यों यह कर रहे हो ? बताओ ।
मेरे भाई लोग सारे मन्द बुद्धि हैं ।
वे एक दूसरे की गलती निकालने में ही लगे रहते हैं ।
मुझे उनके साथ कोई रिश्ता नहीं चाहिए ।
विनता और उनके पुत्रों के साथ उनकी दुश्मनी है ।
ईर्ष्या है उनके प्रति ।
गरुड भी मेरा भाई है ।
मैं इस शरीर को त्याग देना चाहता हूं ।
ब्रह्माजी ने कहा - मुझे तुम्हारे भाइयों के बारे में सब पता है ।
छोडो उनकी बात ।
कद्रू ने अपनी बहन के साथ अच्छा नहीं किया ।
कद्रू के पुत्रों को भी इसका फल भुगतना पडेगा ।
लेकिन तुम्हें इन सबसे कुछ लेना देना नहीं होगा ।
लेकिन तुम्हें इन सबसे कुछ लेना देना नहीं होगा ।
तुम्हारी धर्म बुद्धि को देखकर बडी प्रसन्नता हुई ।
वर मांगो ।
मुझे धर्म में अटल रहना है ।
ब्रह्माजी ने वह वर दे दिया ।
और बताया लोक कल्याण के लिए एक और काम करो ।
पृथ्वी अस्थिर है । कंपकंपी करती रहती है ।
इसके कारण सभी प्राणी, पेड पौधे सब परेशान हैं।
तुम उसे अपने फणों के ऊपर धारण करके स्थायी बना दो ।
पृथ्वी ने ही स्वयं आदिशेष को अपने नीचे जाने का रास्ता दिखाया ।
आदिशेष पृथ्वी के नीचे गये और उसे अपने फणों में धारण करके दृढ और स्थायी बना दिये ।
ब्रह्माजी ने गरुड को आदिशेष की मदद के लिए नियुक्त किया ।
आदिशेष के चले जाने पर वासुकि नागों का राजा बने ।
आशीर्वाद के लिए सुब्रह्मण्य षडक्षर मंत्र
ॐ शरवण भव ॥....
Click here to know more..Matsya Avatar Of Lord Vishnu
One day, he was offering tarpana (offering water filled by holding both palms together) for the forefathers at River Kritamala. A small fish got trapp....
Click here to know more..अंबिका स्तव
स्मितास्यां सुरां शुद्धविद्याङ्कुराख्यां मनोरूपिणीं ....
Click here to know more..Please wait while the audio list loads..
Ganapathy
Shiva
Hanuman
Devi
Vishnu Sahasranama
Mahabharatam
Practical Wisdom
Yoga Vasishta
Vedas
Rituals
Rare Topics
Devi Mahatmyam
Glory of Venkatesha
Shani Mahatmya
Story of Sri Yantra
Rudram Explained
Atharva Sheersha
Sri Suktam
Kathopanishad
Ramayana
Mystique
Mantra Shastra
Bharat Matha
Bhagavatam
Astrology
Temples
Spiritual books
Purana Stories
Festivals
Sages and Saints