सर्वोत्तम वैशाख मास के महत्त्व के बारे में विस्तार से बतानेवाला पुस्तक
देवों ने पाण्डवों के रूप में अवतार क्यों लिया?
हम जानते हैं कि यमराज, वायुदेव, इंद्र्देव और अश्विनी कुमा....
Click here to know more..यमुनोत्री - यमुना नदी का उद्गम स्थल
यमुनोत्री, हिमालय में स्थित यमुना नदी का उद्गम स्थल है। इ....
Click here to know more..नक्षत्र शांतिकर स्तोत्र
कृत्तिका परमा देवी रोहिणी रुचिरानना। श्रीमान् मृगशिरा ....
Click here to know more..श्रीगणेशाय नमः॥ मनुष्योंमें उत्तम नरनारायण, सरस्वतीदेवी और व्यासजीको नमस्कार करके जयशब्दका उच्चारण करै ॥ १ ॥ सूतजी कहने लगे कि राजा अंबरीषने परमेष्ठी ब्रह्माजीके पुत्र नारदजी से फिर वैशाख माहात्म्यका प्रश्न किया ॥२॥ अवशेष बोले कि हे ब्रह्मन् ! जैसे जैसे आपने सम्पूर्ण महीनाओं के माहात्म्य वर्णन किये सो सब मैंने पहिले सुनलिये हैं ॥ ३ ॥ इन सबमें वैशाखमास निश्वयही सर्वोचम है, इससे वैशाख माहात्म्यको श्रीगणेशाय नमः ॥ नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम् | देवीं सरस्वतीं व्यासं ततो जयमुदीरयेत् ॥ १ ॥ सूत उवाच ॥ भूयोऽप्यङ्गभुवं राजा ब्रह्मणः परमेष्ठिनः । पुण्यं माधवमाहात्म्यं नारदं पर्यपृच्छत ॥२॥ अम्बरीष उवाच॥ सर्वेषामपि मासानां त्वत्तो माहात्म्यमञ्जसा । श्रुतं मया पुरा ब्रह्मन् यदा चोक्तं तदा त्वया ॥ ३ ॥ वैशाखः प्रवरो मासो मासेष्वेतेषु निश्चितम् । इति तस्माद्विस्तरेण माहात्म्यं माधवस्य च ॥ ४ ॥ श्रोतुं कौतूहलं ब्रह्मन् कथं विष्णुप्रयो हासौ । के च विष्णुप्रिया धर्मा मासे माधववल्लभे ॥ ५ ॥ तत्राप्यस्य तु कर्तव्याः के धर्मा विष्णुवल्लभाः । किं दानं किं फलं तस्य किमुदिश्याचरेदिमान् ॥ ६ ॥ विस्तारपूर्वक सुनने की मेरी अत्यन्त अभिलाषा है, है बान्| यह मास विष्णु भगवान को ऐसा शिव क्यों है, इस गारामें विष्णुत्रिय कौन कौनसे धर्म हैं ॥ ४ ॥ ५ ॥ इनमेंसेमी कौन कौनसे धर्म कर्त्तव्य हैं जो विष्णुको प्यारे है कौनसा दान कर्तव्य है और उसका फलभी क्या है तथा इस मासमें कौनसे देवताकी उपासना करनी चाहिये ? ॥ ६ ॥
वैशाखमासमें माधव भगवान् की पूजाकी सामग्री कौनकौनसी है ? हे नारदजी ! ये सब मेरे सामने विस्तारपूर्वक कहो में भन्दा फरके सुनू हू ॥७॥ श्री नारदजी बोले कि, मैंनेभी बल्लाजीसे यही प्रश्न किया और प्रथम भगवान्ने लक्ष्मीजीसे मासमाहात्म्य कहे सोई ब्रह्माजीने मेरे प्रति कहे ॥८॥ इन बारह मासोंमें कार्त्तिक, माघ और वैशाख ये तीनमास उत्तम हैं और इन तीनोंमें भी वैशाखमास परमोत्तम है ॥ ९ ॥ यह माता की तरह सब जीवोंको कैद्रव्यैः पूजनीयोऽसौ माधवो माधवागमे । एतन्नारद विस्तार्थ मां श्रद्धावते वद ॥ ७ ॥ श्रीनारद उवाच ॥ मया पृष्टः पुरा ब्रह्मा मासधर्मान् पुरातनान् । व्याजहार पुरा प्रोक्तं यच्छ्रियै परमात्मना ॥ ८ ॥ ततो मासा विशिष्टोक्ताः कार्तिको माघ एव च । माधवस्तेषु वैशाखं मासानामुत्तमं व्यधात् ॥ ९ ॥ मातेव सर्वजीवानां सदैवेष्टप्रदायकः । दानयज्ञवतस्त्रानैः सर्वपापविनाशनः ॥ १० ॥ धर्मयज्ञक्रियासारस्तपः सारः सुरार्चितः । विद्यानां वेदविद्येव मन्त्राणां प्रणवो यथा ॥ ११ ॥ भूरुहाणां सुरतरुर्धेनूनां कामधेनुवत् । शेषवत्सर्वनागानां पक्षिणां गरुडो यथा ॥ १२ ॥
सदाही अभीष्ट पदार्थोका दावा है, इस महीनायें दान, यज्ञ, व्रत और स्नान करने से सम्पूर्ण पाप नष्ट होय जाय हैं। १ ० ॥ यह महीना धर्म, यज्ञ और आह्निक कमका सार रूप है, वपका सार हैं और देवताओं करके अर्पित है सब विद्याओंगें वेद विद्यारूप है मन्त्रोंमें प्रणव जो ओंकार उसके समान है ॥ ११॥ वृक्षों में कल्पवृक्ष और गौओंमें कामधेनु के समान है नागोयें शेषनाग और पक्षियोंमें गरुडके समान है ॥ १२ ॥
देवगणोंमें विष्णुकै समान और वर्णोंमें ब्राह्मणोंके समान है, मियवस्तुओंमें माणके समान और सुहृद्वर्गंमें भार्याके समान हिवकारी है ॥ १३ ॥ नदियोंमें गंगाके समान और तेजवान् पदार्थोंमें सूर्यके समान है, आयुधों में सुदर्शन चक और धातुओंमें सुवर्णके समान है ॥ १४ ॥ वैष्णवोणें शिवजी के समान और रत्नोंमें कौस्तुभमणिके समान है ऐसेहि धर्मके हेतु संपूर्ण महिनोंमें वैशाखमास उत्तम है ॥ १५ ॥ संसारमें इसके समान विष्णुका श्रीविपात्र देवानां तु यथा विष्णुर्वर्णानां ब्राह्मणो यथा । प्राणवत्प्रियवस्तुनां भार्येव सुहृदां यथा ॥ १३ ॥ आपगानां यथा गङ्गा तेजसा तु रविर्यथा । आयुधानां यथा चक्रं धातूनां काञ्चनं यथा ॥ १४ ॥ वेष्णवानां यथा रुद्रो रत्नानां कौस्तुभो यथा । मासानो धर्म- हेतूनां वैशाखश्वोत्तमस्तथा ॥ १५ ॥ वान्न सदृशो लोके विष्णुप्रीतिविधायकः । वैशाखस्नान निरतो मंबे प्रागर्यमोदयात् ॥ १६ ॥ लक्ष्मीसहायो भगवान प्रीतिं तस्मिन् करोत्यलम् । जन्तुनां प्रीणनं यद्वदन्नेनैव हि जायते ॥ १७ ॥ तद्वद्वैशाखस्ना- नेन विष्णुः प्रीणात्यसंशयः । वैशाखस्नाननिरताञ्जनान् दृष्ट्वानुमोदते ॥ १८ ॥ तावतापि विद्युतोऽधैर्विष्णुलोके महीयते । सकृत्स्नात्वा मेषसंस्थे सूय्यै प्रातः कृताह्निकः ॥ १९ ॥
कोई नहीं है जो मनुष्य सूर्योदयसे पहले वैशाख मासमें नित्य नियमसे स्नान करे है उस मनुष्यपर लक्ष्मीसहित भगवान् अत्यन्त प्रसन्न होय हैं जैसे अन्नसे माणी प्रसन्न होते हैं | १६ | १७|| वैसेही वैशाखमें ज्ञान करनेसे विष्णुभगवान् निसंदेह न होय हैं और ज्ञान करनेमें निरत मनुष्यको देखकर अनुमोदन करते हैं ॥१८॥
Please wait while the audio list loads..
Ganapathy
Shiva
Hanuman
Devi
Vishnu Sahasranama
Mahabharatam
Practical Wisdom
Yoga Vasishta
Vedas
Rituals
Rare Topics
Devi Mahatmyam
Glory of Venkatesha
Shani Mahatmya
Story of Sri Yantra
Rudram Explained
Atharva Sheersha
Sri Suktam
Kathopanishad
Ramayana
Mystique
Mantra Shastra
Bharat Matha
Bhagavatam
Astrology
Temples
Spiritual books
Purana Stories
Festivals
Sages and Saints