कृशे कस्यास्ति सौहृदम्

वनानि दहतो वह्नेः सखा भवति मारुतः |
स एव दीपनाशाय कृशे कस्यास्ति सौहृदम् ||

 

जब आग एक जंगल को जलाता है तो हवा उस का दोस्त बनकर आग का साथ देता है| पर जब वह ही आग एक छोटे से दीप में होता है तो वह ही वायु आकर उस आग को बुझा देता है| छोटे लोगों से भला कौन ही दोस्ती करना चाहेगा?

 

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