Special - Narasimha Homa - 22, October

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सुरक्षा के लिए महा वटुका भैरवी का मंत्र

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यह मंत्र सुख और शांति लाता है 🌸 -siddhi sachdeva

वेदधारा समाज की बहुत बड़ी सेवा कर रही है 🌈 -वन्दना शर्मा

आभारी हूँ -gyan prakash

वेद पाठशालाओं और गौशालाओं के लिए आप जो अच्छा काम कर रहे हैं, उसे देखकर बहुत खुशी हुई 🙏🙏🙏 -विजय मिश्रा

मेरा प्रिय मंत्र 💖... इससे मुझे बहुत मदद मिल रही है 🌟 -Ritik Bajpai

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गृह्यसूत्र

गृह्यसूत्र वेदों का एक हिस्सा है, जिसमें परिवार और घरेलू जीवन से संबंधित संस्कारों, अनुष्ठानों, और नियमों का विवरण होता है। यह वैदिक काल के सामाजिक और धार्मिक जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाता है। गृह्यसूत्रों में विभिन्न प्रकार के संस्कारों का वर्णन है, जैसे कि जन्म, नामकरण, अन्नप्राशन (पहली बार अन्न ग्रहण करना), उपनयन (यज्ञोपवीत संस्कार), विवाह, और अंत्येष्टि (अंतिम संस्कार) आदि। ये संस्कार जीवन के प्रत्येक महत्वपूर्ण चरण को चिह्नित करते हैं। प्रमुख गृह्यसूत्रों में आश्वलायन गृह्यसूत्र, पारस्कर गृह्यसूत्र, और आपस्तंब गृह्यसूत्र शामिल हैं। ये ग्रंथ विभिन्न ऋषियों द्वारा रचित हैं और विभिन्न वैदिक शाखाओं से संबंधित हैं।गृह्यसूत्रों का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है क्योंकि ये न केवल व्यक्तिगत जीवन के संस्कारों का विवरण प्रदान करते हैं बल्कि समाज में धार्मिक और नैतिक मानकों की स्थापना भी करते हैं।

शिव जी को अद्वितीय क्यों कहते हैं?

क्यों कि शिव जी ही ब्रह्मा के रूप में सृष्टि, विष्णु के रूप में पालन और रुद्र के रूप में संहार करते हैं।

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संतान - जन्म होने के तुरंत बाद पिता को कैसे स्नान करना चाहिये ?

ॐ नमो भगवति दिग्बन्धनाय कङ्कालि कालरात्रि दुं दुर्गे शुं शूलिनि वं वटुकभैरवि । अर्द्धरात्रविलासिनि महानिशि प्रतापकेलिनि महाज्ञाधवि । सर्वभूतप्रेतपिशाचसर्वज्वरशानतिनि । मदभीष्टमाकर्षय महावटुकभैरवि हुं फट् स्वाहा ।....

ॐ नमो भगवति दिग्बन्धनाय कङ्कालि कालरात्रि दुं दुर्गे शुं शूलिनि वं वटुकभैरवि । अर्द्धरात्रविलासिनि महानिशि प्रतापकेलिनि महाज्ञाधवि । सर्वभूतप्रेतपिशाचसर्वज्वरशानतिनि । मदभीष्टमाकर्षय महावटुकभैरवि हुं फट् स्वाहा ।

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