Listen to the audio above
मुनि जन स्वयं परम ज्ञानी हैं। तब भी वे सूत से ज्ञान पाने कैसे तैयार हो गये? क्यों कि सूत में जो गुण थे उसके कारण। सूत को संबोधित करते हुए मुनि जन स्वयं इसे बताते हैं - ऋषय ऊचुः - त्वया खलु पुराणानि सेतिहासानि चानघ। आख्....
मुनि जन स्वयं परम ज्ञानी हैं।
तब भी वे सूत से ज्ञान पाने कैसे तैयार हो गये?
क्यों कि सूत में जो गुण थे उसके कारण।
सूत को संबोधित करते हुए मुनि जन स्वयं इसे बताते हैं -
ऋषय ऊचुः -
त्वया खलु पुराणानि सेतिहासानि चानघ।
आख्यातान्यप्यधीतानि धर्मशास्त्राण्यान्युत॥
इस में खलु शब्द को देखिए।
खलु का अर्थ है - है कि नही?
यह है खलु का अर्थ।
जैसे हमने देखा सूत एक जाति है।
माता ब्राह्मणी और पिता क्षत्रिय।
इनको परंपरानुसार वेदाधिकार नहीं है।
सिर्फ पुराणों का अधिकार है।
कथा सुनाना इनकी उपजीविका है।
यहां देखिए, ऋषि जन सूत को अनघ कहक्कर बुला रहे हैं।
इस सूत के लिए कथा सुनाना केवल उपजीविका नहीं है।
इस सूत का, उग्रश्रवा का स्तर काफी ऊपर है।
कथा सुनाने के लिए क्या चाहिए?
किसी से सुनो और सुनाओ।
पर इस सूत ने पुराण, इतिहास और धर्मशास्त्र इन सबका अध्ययन किया है, व्याख्यान किया है और अब अध्यापन भी करते हैं।
क्या है धर्मशास्त्र?
दो प्रकार के धर्मशास्त्र हैं।
एक ईश्वरीय - जो वेद हैं।
दूसरा मानव प्रोक्त।
धर्म शास्त्र का विषय क्या है?
पुरुषार्थों - धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष - इन चार लक्ष्यों को पाने कैसे आचरण करना चाहिए - यह है धर्म शास्त्र का प्रतिपाद्य।
इनमें धर्म के बारे मे बताएंगे स्मृतियां।
अर्थ के बारे में नीति शास्त्र।
काम के बारे में वात्स्यायनादि के ग्रन्थ।
मोक्ष के बारे में सांख्यायनादि शास्त्र।
यहां देखा जाएं तो जाति से सूत को मनुष्यप्रोक्त धर्म शास्त्रों में ही अधिकार है।
मुनि जन क्यों मनुष्य प्रोक्त धर्म शास्त्र को सुनेंगे जब कि उनके पास पहले से ही वेद विद्या है?
सूत जो बताने वाले हैं वह मनुष्य प्रोक्त नहीं है।
वैदिक धर्म है।
यानि वेदविदां श्रेष्ठो भगवान्बादरायणः।
अन्ये च मुनयः सूत परावरविदो विदुः॥
यह ज्ञान सूत को किसने दिया?
वेद विद्वानों में श्रेष्ठ व्यासजी ने।
व्यासजी परंपरा को कैसे तोड सकते हैं?
सूत को वेद विद्या कैसे सौंप सकते हैं?
क्यों कि व्यासजी भगवान हैं और बादरायण, तपस्वी भी हैं।
भगवान कुछ भी कर सकते हैं।
उनको कोई रोक नही सकता।
वर्ण धर्म को उन्होंने ही बनाया - चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं।
तो उसमें अपवाद भी वे कर सकते हैं।
व्यासजी में तपः शक्ति भी है।
न केवल इच्छा शक्ति, क्रिया शक्ति भी है।
व्यासजी ने जान बूछकर ही ऐसा किया है।
यह ब्रह्मादि देवताओं के साथ इन त्रिकालज्ञ मुनियों को भी पता है।
उनको पता है कि यह ईश्वरेच्छा है।
इसलिए वे सूत से कथा सुनेंगे, ज्ञान पाएंगे।
ऐसा नहीं है कि कोई कथा सुनाने आये और ये सुनने के लिए तैयार हो गये।
असमर्थ व्यक्ति से सुनने से ज्ञान दूषित हो जाएगा।
मन दूषित हो जाएगा।
सूत के गुणों के बारे में अच्छे से जानकर ही मुनि जन आगे बड रहे हैं।
सूत कहकर ही संबोधित कर रहे हैं ऋषि जन - आप सूत हो हमें पता है।
फिर भी आपकी योग्यता के बारे में हम जानते हैं।
आपसे कथा सुनना ईश्वरेच्छा भी है।
पर जिसने एक ही गुरु से ज्ञान पाया है उसका ज्ञान अधूरा है।
भागवत में ही बताया है -
न ह्येकस्माद्गुरोर्ज्ञानं सुस्थिरं स्यात्सुपुष्कलम्।
इसका भी इस श्लोक में समाधान है।
सूत ने अन्य मुनियों से भी सीखा है।
वेत्थ त्वं सौम्य तत्सर्वं तत्त्वतस्तदनुग्रहात्।
ब्रूयुः स्निग्धस्य शिष्यस्य गुरवो गुह्यमप्युत॥
पर व्यासजी ने ऐसे क्यों किया?
सूत ने वेदाध्ययन नहीं किया।
जिसने वेदाध्ययन नहीं किया है वह वेद के तत्त्व को कैसे समझा पाएगा?
व्यासजी ने ज्ञान अनुग्रह के रूप में दिया।
उस अनुग्रह के द्वारा सूत को समझ में आया।
व्यासजी ने सूत को इस प्रकार अनुग्रह क्यों दिया?
क्यों कि सूत सौम्य था।
गुरुशुश्रूषा करता था।
प्रिय शिष्य बन गया व्यासजी का।
यहां तक कि जो रहस्य दूसरे शिष्यों को नहीं बताया उन्हें भी सूत को बता दिया।
दस दान कौनसे हैं?
दस दान पितरों की तृप्ति के लिए किया जाता है। यह दान मृत्यु....
Click here to know more..जादू टोने से बचने के लिए अथर्व वेद मंत्र
समं ज्योतिः सूर्येणाह्ना रात्री समावती । कृणोमि सत्यमू....
Click here to know more..रसेश्वर स्तुति
भानुसमानसुभास्वरलिङ्गं सज्जनमानसभास्करलिङ्गम्| सुरवर....
Click here to know more..Please wait while the audio list loads..
Ganapathy
Shiva
Hanuman
Devi
Vishnu Sahasranama
Mahabharatam
Practical Wisdom
Yoga Vasishta
Vedas
Rituals
Rare Topics
Devi Mahatmyam
Glory of Venkatesha
Shani Mahatmya
Story of Sri Yantra
Rudram Explained
Atharva Sheersha
Sri Suktam
Kathopanishad
Ramayana
Mystique
Mantra Shastra
Bharat Matha
Bhagavatam
Astrology
Temples
Spiritual books
Purana Stories
Festivals
Sages and Saints