'अनिकेत' का अर्थ है ऐसा व्यक्ति जिसका कोई स्थायी निवास या किसी विशेष स्थान या वस्तु से लगाव नहीं होता। यह उस व्यक्ति का वर्णन करता है जो 'मुझे केवल यही कार्य करना चाहिए' जैसी कठोर मानसिकता से मुक्त होता है। ऐसा व्यक्ति बिना किसी प्रभाव के सुख और दुःख को समान रूप से स्वीकार करता है। उसका हृदय पूर्ण रूप से परमात्मा में डूबा रहता है, और इस गहरे दिव्य संबंध के कारण वह आसानी से परम कैवल्य, जो कि पूर्ण स्वतंत्रता और परमात्मा के साथ एकता की स्थिति है, प्राप्त कर लेता है। संक्षेप में, 'अनिकेत' वह होता है जो भगवान के प्रति अडिग भक्ति के साथ, निर्लिप्त और लचीला होता है, और इस प्रकार उसे अंतिम आध्यात्मिक स्वतंत्रता प्राप्त होती है।
Bhakti Ratnavali was written by Vishnu Puri of Mithila under instruction from Chaitanya Mahaprabhu. It is a collection of all verses pertaining to bhakti from Srimad Bhagavata.
ह्रूं ह्रूं महाकाल प्रसीद प्रसीद ह्रीं ह्रीं स्वाहा ....
ह्रूं ह्रूं महाकाल प्रसीद प्रसीद ह्रीं ह्रीं स्वाहा
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मोहन, वशीकरण, सर्प - बिच्छू विष दूरीकरण मन्त्र, बृहद कामाक....
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