Pratyangira Homa for protection - 16, December

Pray for Pratyangira Devi's protection from black magic, enemies, evil eye, and negative energies by participating in this Homa.

Click here to participate

पंचाक्षरी मंत्र की सिद्धि कैसे पायें

89.1K
13.4K

Comments

Security Code
05814
finger point down
😊😊😊 -Abhijeet Pawaskar

आपकी वेबसाइट से बहुत कुछ सीखने को मिलता है।🙏 -आर्या सिंह

वेदधारा के कार्यों से हिंदू धर्म का भविष्य उज्जवल दिखता है -शैलेश बाजपेयी

शास्त्रों पर स्पष्ट और अधिकारिक शिक्षाओं के लिए गुरुजी को हार्दिक धन्यवाद -दिवाकर

Om namo Bhagwate Vasudevay Om -Alka Singh

Read more comments

Knowledge Bank

हनुमान जी किन सद्गुणों के प्रतीक हैं?

हनुमान जी भक्ति, निष्ठा, साहस, शक्ति, विनम्रता और निस्वार्थता के प्रतीक हैं। यह आपको इन गुणों को अपने जीवन में अपनाने, व्यक्तिगत विकास और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित और मार्गदर्शन करेगा।

भगवान श्री धन्वन्तरि

समुद्र मंथन के समय क्षीरसागर से भगवान श्री धन्वन्तरि अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए। भगवान श्री हरि ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि तुम जन्मान्तर में विशेष सिद्धियों को प्राप्त करोगे। धन्वन्तरि ने श्री हरि के तेरहवें अवातार के रूप में काशीराज दीर्घतपा के पुत्र बनकर जन्म लिया। आयुर्वेद का प्रचार करके इन्होंने लोक को रोग पीडा से मुक्त कराने का मार्ग दिखाया।

Quiz

चारों दिशाओं में भगवान शिव के मन्दिर होने के कारण यह शहर नाथ नगरी नाम से भी जाना जाता है । कौन सा है यह शहर ?

पंचाक्षर मंत्र की साधना कैसे करें? शिव पुराण में इसके बारे में क्या बताया है, देखते हैं। शिव पुराण इसे जपयोग भी कहता है। साधना शुरू करने से पहले तीन चीजें आवश्यक हैं। एक- दीक्षा, दीक्षा किसी योग्य गुरु से प्राप्त....

पंचाक्षर मंत्र की साधना कैसे करें?

शिव पुराण में इसके बारे में क्या बताया है, देखते हैं।
शिव पुराण इसे जपयोग भी कहता है।

साधना शुरू करने से पहले तीन चीजें आवश्यक हैं।

एक- दीक्षा, दीक्षा किसी योग्य गुरु से प्राप्त करनी चाहिए।
दो- दीक्षा प्राप्त करने के बाद मंत्र के दस संस्कार करें।
तीन- पंचाक्षर मंत्र का न्यास सीखें

अगला कदम मंत्र सिद्धि को प्राप्त करना।
सिद्धि प्राप्त करने के बाद आप किसी भी मनोकामना के लिए मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं।

मंत्र सिद्धि प्रदान करने वाली प्रक्रिया है पुरश्चरण।

पंचाक्षर मंत्र के लिए शिव पुराण में निर्धारित पुरश्चरण मंत्र शास्त्र में निर्धारित सामान्य पुरश्चरण विधि से कुछ भिन्न है।

हम पहले देख चुके हैं कि जिसको दीक्षा नहीं मिली हो या जो मंत्र संस्कार और न्यास नहीं जानता हो, उसके लिए पंचाक्षर मंत्र शिवाय नमः है।
नमः शिवाय नहीं।

नमः शिवाय गंभीर साधकों के लिए है।

तीव्र साधकों को जैसे जो पुरश्चरण जैसी तपस्या करते हैं उन्हें नमः शिवाय से पहले ॐकार भी जोडने का अधिकार है।

इस स्तर पर ही आप नमः शिवाय का जाप कर सकते हैं।

नहीं तो, शिवाय नमः।

पुरश्चरण शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होना चाहिए।

पंचाक्षर मंत्र के पुरश्चरण के लिए माघ और भाद्रपद के मास विशेष रूप से शुभ होते हैं।

शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से शुरू होकर अगले कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर पुरश्चरण समाप्त होता है. कुल २९ दिन।

इस अवधि में आपको पंचाक्षर मंत्र का ५ लाख बार जाप करना है।

पुरश्चरण के समय आपको दिन में केवल एक बार ही भोजन करना चाहिए।
अनावश्यक बातचीत से बचना चाहिए।
शरीर को सुख देने वाली या मनोरंजन करने वाली किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए।

जब आप जाप करते हैं, तो आपको अपना मन भगवान शिव के एक निश्चित रूप पर एकाग्र रखना है।

भगवान कमल पर विराजमान हैं।
गंगा और अर्धचंद्र उनके सिर को सुशोभित करते हैं।

उनके बाएं ऊपरी हाथ में एक हिरण है जिसे उन्होंने उसके पिछले पैरों से पकड़ रखा है।
दाहिने ऊपरी हाथ में परशु है।
निचला बायां हाथ में वरद मुद्रा है।
निचला दाहिना हाथ में अभय मुद्रा है।

उनकी बायीं जांघ पर देवी पार्वती विराजमान हैं।
भगवान के गण उनके चारों ओर हैं।

जाप शुरू करने से पहले आपको भगवान के इस स्वरूप ध्यान करके मानस पूजा करनी चाहिए।

यह ध्यान अपने हृदय में या सूर्य मंडल में कर सकते हैं।

कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी अर्थात २९वें दिन, इस समय तक ५ लाख मंत्र जाप पूरे हो चुके होंगे, उस दिन १२,००० बार और जाप करना होगा।

पुरश्चरण का समापन गुरु और उनकी पत्नी की उपस्थिति में ही किया जाना चाहिए।

उस दिन उन दोनों की सांब शिव और देवी पार्वती के रूप में पूजा होती है।

इसके अतिरिक्त पांच कुलीन शिव भक्त ब्राह्मणों को आमंत्रित करके उनकी पूजा ईशान, तत्पुरुष, अघोर, सद्योजात और वामदेव के रूप में की जाती है।

इस सबके समक्ष में शिव पूजा करनी चाहिए।

भूरी गाय के घी से पंचाक्षर मंत्र से हवन होता है।

आहुति ११, १०१ या १,००१।
उत्तम पक्ष में १,००१ आहुतियां।

विधि के अनुसार पूजा और होम किया जाना चाहिए।

इसके बाद साधक को गुरु के और पांचों ब्राह्मणों के चरण धोकर उस जल से स्नान करना चाहिए.

यह चरणोदक सभी ३६ करोड़ तीर्थों के पवित्र जल के समान शक्तिशाली है।

गुरु, उनकी पत्नी और ब्राह्मणों को रुद्राक्ष और वस्त्र अर्पित करना चाहिए।

उन्हें स्वादिष्ट भोजन देना चाहिए।
दूध से बनी खीर इस भोजन में होना चाहिए।
बलिदान के बाद सामूहिक अन्नदान भी करें।

यह है पंचाक्षर मंत्र का पुरश्चरण।

ऐसा करने पर पंचाक्षर मंत्र भगवान की कृपा से सिद्ध हो जाता है।
इसके बाद आप पंचाक्षर मंत्र का प्रयोग किसी भी चीज के लिए कर सकते हैं, मोक्ष प्राप्ति के लिए भी।

हिन्दी

हिन्दी

शिव पुराण

Click on any topic to open

Copyright © 2024 | Vedadhara | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |
Vedahdara - Personalize
Whatsapp Group Icon
Have questions on Sanatana Dharma? Ask here...