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नागों के नाम

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महाभारत के अनुसार मुख्य नागों के नाम जानिए

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५१ शक्ति पीठों का महत्व क्या है?

शक्ति पीठ भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में स्थित पवित्र स्थलों की एक श्रृंखला है, जो प्राचीन काल से अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए पूजनीय हैं। देवी सती अपने पिता दक्ष के याग में भाग लेने गयी। वहां उनके पति महादेव का अपमान हुआ। माता सती इसे सहन नहीं कर पायी और उन्होंने यागाग्नि में कूदकर अपना प्राण त्याग दिया। भगवान शिव सती के मृत शरीर को लिए तांडव करने लगे। भगवान विष्णु ने उस शरीर पर अपना सुदर्शन चक्र चलाया। उसके अंग और आभूषण ५१ स्थानों पर गिरे। ये स्थान न केवल शक्तिशाली तीर्थस्थल बन गए हैं, बल्कि दुनिया भर के भक्तों को भी आकर्षित करते हैं जो आशीर्वाद और सिद्धि चाहते हैं।

इतिहास की परिभाषा

इति हैवमासिदिति यः कथ्यते स इतिहासः - यह इंगित करता है कि 'इतिहास' शब्द का प्रयोग उन वृत्तांतों के लिए किया जाता है जिन्हें ऐतिहासिक सत्य के रूप में स्वीकार किया जाता है। रामायण और महाभारत 'इतिहास' हैं और कल्पना या कल्पना की उपज नहीं हैं। इन महाकाव्यों को प्राचीन काल में घटित घटनाओं के तथ्यात्मक पुनर्कथन के रूप में माना जाता है।

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भारतवर्ष की पुण्य नदियों की संख्या कितनी हैं ?

नैमिषारण्य में उग्रश्रवा सौती ने ऋषियों को अरुण और गरुड के जन्म के बारे में बताया । कैसे स्वर्ग से नागों के लिए अमृत लाकर दिया अपनी मां और अपने आप को गुलामी से मुक्त कराया, ये सब । इसके बाद ऋषियों ने सौती से पूछा - हमें नागों ....

नैमिषारण्य में उग्रश्रवा सौती ने ऋषियों को अरुण और गरुड के जन्म के बारे में बताया ।
कैसे स्वर्ग से नागों के लिए अमृत लाकर दिया अपनी मां और अपने आप को गुलामी से मुक्त कराया, ये सब ।
इसके बाद ऋषियों ने सौती से पूछा -
हमें नागों के नाम बताएंगे ?
तब तक नाग करोडों में हो चुके थे ।
सबका नाम बताना तो संभव नहीं था ।
सौती ने कुछ मुख्य नागों का नाम बताया ।

नागों में सबसे पहले आदिशेष का जन्म हुआ ।
उसके बाद वासुकि, ऐरावत, तक्षक, कर्कोटक, धनंजय, कालिय, मणिनाग, आपूरण, पिंजरक, एलापत्र, वामन, नील, अनील, कल्माष, शबल, आर्यक, उग्रक, कलशपोतक, सुमना, दधिमुख, विमलपिण्डक, आप्त, एक और कर्कोटक, शंख, वालिशिख, निष्टानक, हेमगुह, नहुष, पिंगल, बाह्यकर्ण, हस्तिपद, मुद्गरपिण्डक, कम्बल, अश्वतर, कालीयक, वृत्त, संवर्तक, पद्म, एक और पद्म, शंखमुख, कूष्माण्डक, पिण्डारक, करवीर, पुष्पदंष्ट्र, बिल्वक, बिल्वपाण्डुर, मूषकाद, शंखशिरा, पूर्णभद्र, हरिद्रक, अपराजित, ज्योतिक,
श्रीवह, कौरव्य, धृतराष्ट्र, शंखपिण्ड, विरजा, सुबाहु, शालिपिण्ड, हस्तिपिण्ड, पिठरक, सुमुख, कौणपाशन, कुठर, कुंजर, प्रभाकर, कुमुद, कुमुदाक्ष, तित्तिरि, हलिक, कर्दम, बहुमूलक, कर्कर, अकर्कर, कुण्डोदर, और महोदर ।

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