नहि कृतमुपकारं साधवो विस्मरन्ति

प्रथमवयसि पीतं तोयमल्पं स्मरन्तः
शिरसि निहितभारा नारिकेला नराणाम् ।
उदकममृतकल्पं दद्युराजीवितान्तं
नहि कृतमुपकारं साधवो विस्मरन्ति ।।

 

एक नारियल का पेड जब छोटा होता है तब वह थोडा सा ही पानी पीता है । फिर बडा होकर अपने ऊपर लगे हुए फलों की देखभाल करते हुए वह उन में अमृत के समान पानी भरकर लोगों को देता है । ऐसे ही साधुजन भी, एक छोटी से सहायता करने पर उसको न भूलते हुए निस्वार्थ होकर सही समय में सही प्रकार से हमारा मार्गदर्शन और प्रत्युपकार करते हैं ।

 

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