दिव्य आशीर्वाद: समृद्धि को आकर्षित करने के लिए ललिता देवी मंत्र

क्या इस मंत्र को सुनने के लिए दीक्षा आवश्यक है?

नहीं। दीक्षा केवल तब आवश्यक होती है जब आप मंत्र साधना करना चाहते हैं, सुनने के लिए नहीं।

लाभ प्राप्त करने के लिए बस हमारे द्वारा दिए गए मंत्रों को सुनना पर्याप्त है।


आबद्धरत्नमकुटां मणिकुण्डलोद्यत्केयूरकोर्मिरशनाह्वयनूपुराढ्याम्। वन्दे धृताब्जयुगपाशक-साङ्कुशेक्षुचापां सुपुष्पविशिखां नवहेमवर्णाम्॥ 

मैं देवी को नमन करता हूँ, जो रत्नों से जड़ी हुई मुकुट धारण किए हुए हैं, जिनके कान मणियों से जड़े कुंडलों से दमक रहे हैं, जो कंगनों और बाजूबंदों से सुसज्जित हैं। वह पैरों में छोटी घंटियों के साथ नूपुर धारण करती हैं। उनके हाथों में कमल, पाश, अंकुश, ईख का धनुष, और पाँच पुष्प बाण हैं। वह स्वर्णिम आभा वाली हैं और सौंदर्य और कृपा की प्रतीक हैं। 

आबद्ध - सुशोभित, रत्नमकुटां - रत्नों का मुकुट, मणिकुण्डल - मणियों से जड़े कुंडल, उद्यत्केयूर - कंगनों से सुसज्जित, कोर्मि - बाजूबंद, रशनाह्वय - कमरपट्टा, नूपुराढ्याम् - नूपुर से युक्त, वन्दे - नमन करता हूँ, धृत - धारण करती हैं, अब्ज - कमल, युग - युगल, पाश - पाश, साङ्कुश - अंकुश, इक्षुचापां - ईख का धनुष, सुपुष्प - सुंदर पुष्प, विशिखां - बाण, नवहेमवर्णाम् - स्वर्णिम वर्ण

सुनने के लाभ:

इस मंत्र को सुनने से दिव्य आशीर्वाद, समृद्धि और सुरक्षा प्राप्त होती है। यह जीवन की बाधाओं को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। देवी की दिव्य छवि की कल्पना से मन और आत्मा में शांति और सद्भाव स्थापित होता है, जिससे दिव्यता से गहरा संबंध बनता है।

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