मंत्र:
ॐ अच्युत-केशव-विष्णु-हरि-सत्य-
अर्थ:
अच्युत, केशव, विष्णु, हरि, सत्य, जनार्दन, हंस और नारायण को प्रणाम।
शिव, गणपति, कार्तिकेय, दिनेश्वर और धर्म को प्रणाम।
दुर्गा, गंगा, तुलसी, राधा, लक्ष्मी और सरस्वती को प्रणाम।
राम, स्कन्द, हनुमान, वैनतेय और वृकोदर को प्रणाम।
महामाया को प्रणाम, जो सभी पूर्व कष्टों और बाधाओं को नष्ट करती हैं, और सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए उनकी शक्तिशाली और परिवर्तनकारी ऊर्जा का आह्वान करते हैं।
शिव, मृत्युंजय भगवान को प्रणाम, उनकी सुरक्षा, उपचार, और मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उन्हें नमन करते हैं।
यह मंत्र देवी और देवताओं की शक्तिशाली ऊर्जा का आह्वान करता है, जिससे पुराने कष्टों का नाश होता है, मृत्यु से सुरक्षा मिलती है, और बुरे सपनों से बचाव होता है। यह नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा और उनके विनाश के लिए एक प्रार्थना है।
ॐ आरिक्षीणियम् वनस्पतियायाम् नमः । बहुतेन्द्रीयम् ब्रहत् ब्रहत् आनन्दीतम् नमः । पारवितम नमामी नमः । सूर्य चन्द्र नमायामि नमः । फुलजामिणी वनस्पतियायाम् नमः । आत्मानियामानि सद् सदु नमः । ब्रम्ह विषणु शिवम् नमः । पवित्र पावन जलम नमः । पवन आदि रघुनन्दम नमः । इति सिद्धम् ।
माहवारी के दौरान केवल उपवास रख सकते हैं। व्रत के पूजन, दान इत्यादि अंग किसी और से करायें।
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