बुरे सपनों से बचने के लिए दिव्य मंत्र

क्या इस मंत्र को सुनने के लिए दीक्षा आवश्यक है?

नहीं। दीक्षा केवल तब आवश्यक होती है जब आप मंत्र साधना करना चाहते हैं, सुनने के लिए नहीं।

लाभ प्राप्त करने के लिए बस हमारे द्वारा दिए गए मंत्रों को सुनना पर्याप्त है।


मंत्र:

ॐ अच्युत-केशव-विष्णु-हरि-सत्य-जनार्दन-हंस-नारायणेभ्यो नमः। शिव-गणपति-कार्तिकेय-दिनेश्वर-धर्मेभ्यो नमः। दुर्गा-गङ्गा-तुलसी-राधा-लक्ष्मी-सरस्वतीभ्यो नमः। राम-स्कन्द-हनूमन्-वैनतेय-वृकोदरेभ्यो नमः। ॐ ह्रीं क्लीं पूर्वदुर्गतिनाशिन्यै महामायायै स्वाहा। ॐ नमो मृत्युञ्जयाय स्वाहा।

अर्थ:

अच्युत, केशव, विष्णु, हरि, सत्य, जनार्दन, हंस और नारायण को प्रणाम।
शिव, गणपति, कार्तिकेय, दिनेश्वर और धर्म को प्रणाम।
दुर्गा, गंगा, तुलसी, राधा, लक्ष्मी और सरस्वती को प्रणाम।
राम, स्कन्द, हनुमान, वैनतेय और वृकोदर को प्रणाम।
महामाया को प्रणाम, जो सभी पूर्व कष्टों और बाधाओं को नष्ट करती हैं, और सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए उनकी शक्तिशाली और परिवर्तनकारी ऊर्जा का आह्वान करते हैं।
शिव, मृत्युंजय भगवान को प्रणाम, उनकी सुरक्षा, उपचार, और मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उन्हें नमन करते हैं।

यह मंत्र देवी और देवताओं की शक्तिशाली ऊर्जा का आह्वान करता है, जिससे पुराने कष्टों का नाश होता है, मृत्यु से सुरक्षा मिलती है, और बुरे सपनों से बचाव होता है। यह नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा और उनके विनाश के लिए एक प्रार्थना है।

 
 
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