तदेव दोषापहतस्य कौतुकम्

यदर्जितं प्राणहरैः परिश्रमैर्मृतस्य तद्वै विभजन्ति रिक्थिनः |
कृतं च यद्दुष्कृतमर्थलिप्सया तदेव दोषापहतस्य कौतुकम् ||

 

जो धन परिश्रम कर के कमाया हो उस को मरने के बाद दायाद आपस में बांट लेते हैं | पर उसी धन को कमाने के लिए अगर कोई दुष्कर्म किया हो तो वह हमारे साथ परलोक पर भी आकर हमें पीडा देता है | इसलिए कभी भी दुष्कर्म के द्वारा धन न कमाएं |

 

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