Special Homa on Gita Jayanti - 11, December

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इस प्रवचन से जानिए- गौ माता किन किन आदर्शों का उपदेश देती है।

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अति सुन्दर -User_slbo5b

वेदधारा की वजह से मेरे जीवन में भारी परिवर्तन और सकारात्मकता आई है। दिल से धन्यवाद! 🙏🏻 -Tanay Bhattacharya

वेदधारा के प्रयासों के लिए दिल से धन्यवाद 💖 -Siddharth Bodke

यह वेबसाइट अद्वितीय और शिक्षण में सहायक है। -रिया मिश्रा

वेद पाठशालाओं और गौशालाओं के लिए आप जो कार्य कर रहे हैं उसे देखकर प्रसन्नता हुई। यह सभी के लिए प्रेरणा है....🙏🙏🙏🙏 -वर्षिणी

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गौ माता में आशीर्वाद देने की शक्ति कहां से आई?

गौ माता सुरभि ने कैलास के शिखर पर एक पैर से खडी होकर ग्यारह हजार सालों तक योग द्वारा तपस्या की थी। उस तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने गौ माता को सबकी अभिलाषाएं पूर्ण करने की शक्ति दे दी।

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समुद्र मंथन से निकला हुआ अश्व का नाम क्या है ?

यदुवंश में कलश नाम के एक राजा थे। बडे धर्मिष्ठ होने पर भी उन्हें दुर्वासा ने श्राप दे दिया और राजा बाघ बन गए। बाघ ने जंगल में बहुत प्राणियों की हत्या की और कई संत महात्माओं को भी खा लिया। एक दिन गोपालों के साथ गा....


यदुवंश में कलश नाम के एक राजा थे।

बडे धर्मिष्ठ होने पर भी उन्हें दुर्वासा ने श्राप दे दिया और राजा बाघ बन गए।

बाघ ने जंगल में बहुत प्राणियों की हत्या की और कई संत महात्माओं को भी खा लिया।

एक दिन गोपालों के साथ गायों का एक झुंड उस जंगल में आ गया।

उसमें से एक गाय का नाम था नंदिनी।

नंदिनी का थन भरपूर रहता था।

एक दिन घास चरते चरते नंदिनी एक गुफा के अंदर पहुंची और अंदर शिवलिंग दिखा।

भक्ति श्रद्धा से नंदिनी शिवलिंग के ऊपर अपना थन लगाकर खडी हो गई तो थन ने खुद दूध देना शुरु कर दिया।

नंदिनी यह हर रोज करने लगी।

बहुत गुप्त तरीके से गुफा के अंदर जाती थी और अभिषेक करके वापस आती थी।

एक दिन वह बाघ वहां चला आया और नंदिनी को देखते ही उस के ऊपर कूद पडा और उस को अपनी चपेट में ले लिया।

नंदिनी मन ही मन रोने लगी।

अगर मेरी भक्ति में सच्चाई है और मेरी श्रद्धा में सच्चाई है तो मैं अपने बछडे से अलग न हो जाऊं।

बाघ ने बोला- तुम तो अब कुछ नही कर सकती हो।

तुम्हारा अंत हो गया है।

नंदिनी बोली- मैं अपने लिए दुखी नही हूं।

शिव जी की सेवा करने आई थी।

उनके समक्ष में मेरी मृत्यु हो जाती है तो इसे मैं अपना सौभाग्य मानूंगी।

लेकिन गांव में मेरा बछडा है।

वह बहुत छोटा है।

सिर्फ दूध पीकर जीता है।

मैं उसको लेकर परेशान हूं।

मुझे एक दिन का मोहलत दे दो।

उसे अपनी सहेलियों के पास सौंपकर कल वापस आ जाऊंगी।

फिर मैं बेफिक्र तुम्हारा आहार बन जाऊंगी।

बाघ ने कहा- मृत्यु से बचकर जाओगी और उसी के पास वापस भी आओगी?

कैसे मैं भरोसा करूं तुम्हारा?

मैं जरूर आऊंगी।

शायद तुम नही जानते दिये हुए वचन को तोडने का नतीजा।

ब्रह्महत्या का पाप लगता है।

अपने मां-बाप के साथ धोकेदारी करने का पाप लगता है वचन तोडने से।

इसलिए मैं जरूर वापस आउंगी।

बाघ ने मान लिया।

नंदिनी अपने बछडे के पास पहुंची और उसे उसने दूध पिलाया।

नंदिनी के चेहरे पर तनाव देखकर बछडे ने पूछा- क्या हुआ मां?

नंदिनी ने उसे सारी बात सुनाई।

बछडे ने कहा मैं भी जाऊंगा जंगल तुम्हारे साथ।

बच्चे को मां से बढकर कोई बंधु नहीं है।

मां से बढकर कोई रक्षा नहीं है।

मां से बढकर कोई गति भी नहीं है।

बच्चे के लिए गुरु, देवता, दोस्त और सब कुछ मां ही है।

नास्ति मातृसमः पूज्यो नास्ति मातृसमः सखा।
नास्ति मातृसमो देव इह लोके परत्र च॥

परं गति पाने के लिए मार्ग है मातृभक्ति।

इसलिए तुम यहां रहो मां।

मैं तुम्हारे बदले में जाकर उस बाघ का भोजन बन जाता हूं।

नंदिनी ने कहा- जाना तो मुझे ही है।

मरण तो मेरा ही निश्चित है, लेकिन मैं जो कहने जा रही हूं उसे ध्यान से सुनो।

जंगल में जब जाओगे तो अपने आप को हिंसक जानवरों से बचाना तुम्हारा कर्तव्य है।

गुफा जैसे दुर्गम स्थानों पर यदि घास हो तो भी वहां चरना नही चाहिए।

कभी जंगल में अकेले जाना नहीं चाहिए

लालच, मद और सब के ऊपर विश्वास करना- इन तीन चीजों से बचकर रहना।

ये तुम्हें नाश की तरफ लेकर जाएंगे।

हमेशा सावधानी से रहो।

जब इच्छा बढती है तो वो लोभ बन जाता है और हिम्मत के नाम पर लोग कुछ भी करने लगते हैं।

बछडे को सहेलियों के पास छोडते वक्त उन्होंने कहा- तुम्हें बाघ के पास जाने की जरूरत नही है।

हंसी में, स्त्रियां जब गप-शप करती हैं, शादी जैसे अवसर पर, प्राण संकट पर या लुटे जाने पर- इन पांच समयों पर झूठ बोलने से पाप नहीं लगता।

तुम ने बाघ को वचन दिया है तो भी अपने जान को बचाने के लिए, इसलिए इसमें कोई दोष नहीं हैं।

दूसरों के जान को बचाने के लिए झूठ बोला जा सकता है लेकिन खुद की जान इतनी कीमती नहीं है कि उसके लिए झूठ बोला जाए।

यह जगत, संपूर्ण विश्व, सच के ऊपर प्रतिष्ठित है।

सच के बिना धर्म नहीं।

अपने दिये हुए वचन पालने के लिए समुद्र, कभी भी सीमा से आगे नहीं बढता।

बलि चक्रवर्ती भगवान विष्णु को दिये हुए वचन को लेकर कभी पाताल से बाहर नहीं निकलते।

अगर वचन तोडने में दोष नहीं है, अगर झूठ बोलने में दोष नहीं है तो, चोरों ने कौन सा पाप किया है?

धोकेदारों ने कौन सा पाप किया है?

झूठे गवाहों ने कौन सा पाप किया है?

सखियां बोली- नंदिनी तुम तो देवता समान हो जो प्राण त्याग करने के लिए भी संकोच नहीं करती।

तुम तो धर्मशास्त्र जानती हो और बोलती हो।

तुम सच में स्थित हो।

हम तुम्हें क्या सलाह देंगे?

बच्चे की चिंता मत करो।

हम सब मिलकर उसे अच्छे से पालेंगे।

लेकिन हम यह भी जानते हैं कि जो सच्चा है उस को कोई आपत्ति नहीं हो सकती।

इसलिए तुम बेफिक्र होकर जाओ ।

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गौ माता की महिमा

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