Listen to the audio above
गरुड के दूसरे नाम हैं - सुपर्ण, वैनतेय, नागारि, नागभीषण, जितान्तक, विषारि, अजित, विश्वरूपी, गरुत्मान, खगश्रेष्ठ, तार्क्ष्य, और कश्यपनन्दन।
गरुड की मां है विनता। सांपों की मां है कद्रू। विनता और कद्रू बहनें हैं। एक बार, कद्रू और उनके पुत्र सांपों ने मिलकर विनता को बाजी में धोखे से हराया। विनता को कद्रू की दासी बनना पडा और गरुड को भी सांपों की सेवा करना पडा। इसलिए गरुड सांपों के दुश्मन बन गये। गरुड ने सांपों को स्वर्ग से अमृत लाकर दिया और दासपना से मुक्ति पाया। उस समय गरुड ने इन्द्र से वर पाया की सांप ही उनके आहार बनेंगे।
कद्रू बाजी जीतकर अपनी बहन को अपनी दासी बनाना चाहती थी। बाजी यह थी कि दिव्याश्व उच्चैश्रवस की पूंछ का रंग काला है कि सफेद। कद्रू बोली काला, विनता बोली सफेद। अगले दिन उच्चैश्रवस जब आकाश से जाएगा तब देखेंगे। कद्रू ने अपने प....
कद्रू बाजी जीतकर अपनी बहन को अपनी दासी बनाना चाहती थी।
बाजी यह थी कि दिव्याश्व उच्चैश्रवस की पूंछ का रंग काला है कि सफेद।
कद्रू बोली काला, विनता बोली सफेद।
अगले दिन उच्चैश्रवस जब आकाश से जाएगा तब देखेंगे।
कद्रू ने अपने पुत्रों से, नागों से कहा कि उस घोडे की पूंछ में बाल जैसे लटक जाओ ताकि वह काली दिखें।
उन्होंने मना किया तो कद्रू ने अपने पुत्रों को शाप दे दिया कि तुम सब जनमेजय के सर्पयज्ञ में जलकर मरोगे।
कर्कोटक जैसे कुछ नाग माता की बात को मानकर घोडे की पूंछ पर लटक गये और विनता बाजी हारी।
इस बीच विनता के दूसरे अंडे को फोडकर गरुड बाहर निकल आया।
विनता ने बेचैनी की वजह से पहले अंडे को समय से पहले ही फोडकर देखा था और उस बच्चे का, अरुण का शरीर अधूरा रह गया था।
गरुड का शरीर भीमाकार था।
शूर और पराक्रमी गरुड किसी भी स्वरूप को अपना सकता था।
गरुड का नाम लेते ही मन मे महाविष्णु के वाहन रूपी पक्षी हि याद आती है।
पर महाभारत में गरुड का वर्णन सुनकर आप चौंक जाएंगे।
गरुड को जहां जाना है जाता है।
कोई गरुड को रोक नही सकता।
गरुड के पराक्रम की कोई सीमा नहीं है।
प्रलय काल की अग्नि की तरह भयानक है गरुड।
आंखों से बिजली दमकती रहती है।
मेघगर्जन जैसी आवाज।
पहली बार गरुड को देखकर देव अग्नि भगवान के पास गये और बोले - आपने इस आकार क्यों अपनाया?
जगत को नष्ट करनेवाले हैं क्या?
अग्नि भगवान ने कहा - वह मैं नही हूं।
विनता का पुत्र है, गरुड
अभी अभी अंडा फोडकर बाहर आया है।
पर हमें गरुड से कोई डर नहीं है।
वह हमारा मित्र रहेगा।
चलिए हम सब जाकर गरुड का दर्शान करते हैं।
सब देवता लोग मिलकर गरुड के पास जाकर गरुड की स्तुति करने लगे।
यह स्तुति ऋग्वेद में एक मंत्र है, उस के आशय पर आधारित है।
इन्द्रं मित्रं वरुणमग्निमाहुरथो दिव्यः स सुपर्णो गरुत्मान्।
एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्त्यग्निं यमं मातरिश्वानमाहुः॥
इस मंत्र में सुपर्णो गरुत्मान शाब्द आता है।
यह गरुड का नाम है।
गरुड वैदिक देवता है।
मंत्र कहता है - इन्द्र, मित्र, वरुण, अग्नि, यम, वायु, गरुड - ये सारे एक ही परमात्मा के पर्याय हैं।
एक ही परमार्थ के भिन्न भिन्न स्वरूप हैं।
गरुड स्वयं परमात्मा हैं।
गरुड का यशोगान करके देवता लोग कहते हैं -
आप पक्षियों के राजा हैं।
ऋषियों द्वारा आप ही मंत्रों को प्रकट करते हैं।
अग्नि, सूर्य, परमेष्ठी, प्रजापति, इन्द्र , हयग्रीव, शिव - ये सब आप ही हैं।
आप इस जगत के स्वामी है।
आप सृष्टिकर्ता ब्रह्मा हैं।
आप ही महाविष्णु हैं।
इस जगत की उत्पत्ति आपसे ही हुई है।
आप बल और पराक्रम के मूर्त्त रूप हैं।
आप दयावान हैं।
आप हमारी रक्षा करें।
संपत्ति और समृद्धि आपके नियंत्रण में हैं।
आपके प्रहार का कोई सहन नही कर सकता।
अप ही सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता और संहारकर्ता हैं।
सब प्राणियों के ऊपर आपकी कृपा है।
आप अजेय हैं।
पिघले हुए सोने का रंग है आपका।
आप अविद्या और अज्ञान का विनाश करने वाले हैं।
हम सब आपके इस तेज को देखकर डरे हुए हैं।
आपके गर्जन से यह जगत कांप रहा है।
कृपया एक सौम्य और शान्त रूप को अपनाइए।
गरुड ने इस स्तुति को सुनकर एक सौम्य रूप अपनाया।
Please wait while the audio list loads..
Ganapathy
Shiva
Hanuman
Devi
Vishnu Sahasranama
Mahabharatam
Practical Wisdom
Yoga Vasishta
Vedas
Rituals
Rare Topics
Devi Mahatmyam
Glory of Venkatesha
Shani Mahatmya
Story of Sri Yantra
Rudram Explained
Atharva Sheersha
Sri Suktam
Kathopanishad
Ramayana
Mystique
Mantra Shastra
Bharat Matha
Bhagavatam
Astrology
Temples
Spiritual books
Purana Stories
Festivals
Sages and Saints