अग्निवास

अग्निवास क्या है?

अग्नि का वास स्वर्ग, भूमि या पाताल में होता है। 

यज्ञ, हवन इत्यादि के लिए अग्नि की स्थापना और पूर्णाहुति उन दिनों में ही करें जब अग्नि का वास पृथ्वी पर हो।

इस से उस कर्म का परिणाम शुभ होगा। 

अग्नि का स्वर्ग में वास होते समय हवन इत्यादि करने से यजमान की मृत्यु हो सकती है। अग्नि का वास पाताल में होते समय कार्य करने से धन की हानि हो सकती है।

अग्निवास देखने का तरीका

जिस दिन हवन करना हो, शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से उस दिन तक की तिथि की संख्या गिनिए। उदा- कृष्ण पक्ष की पंचमी को हवन करना हो तो तिथि संख्या १५ +५ = २० होगी। 

इस के साथ उस दिन की वार की संख्या जोडिए। 

रविवार-१, सोमवार-२ इत्यादि। मान लीजिए उस दिन बुधवार है। 

तो वार संख्या ४ हुई। 

२०+४ = २४, इसके साथ संख्या १ और जोडिए २४+१ = २५, इसे ४ से भाग देने से यदि ३ या शून्य शेष रहे अग्नि का वास पृथ्वी पर है और शुभ है। 

१ शेष रहे तो अग्निवास स्वर्ग में और २ शेष रहे तो अग्निवास पाताल में है। 

ये दोनों हानिकारक हैं। 

उदाहरण में २५ को ४ से भाग देने से शेष - १, यह अशुभ है क्यों कि उस दिन अग्नि का वास स्वर्ग में है।

किन कार्यों में अग्निवास देखना जरूरी नहीं है

गर्भाधानादि संस्कार निमित्तक हवन, नित्य होम, दुर्गाहोम, रुद्र होम, वास्तुशान्ति, विष्णु की प्रतिष्ठा, ग्रहशान्ति होम, नवरात्र होम, शतचण्डी, लक्षहोम, कोटिहोम, पितृमेध, उत्पात शान्ति - इनमें अग्निवास देखना आवश्यक नहीं है।

 

Quiz

अथर्ववेद के पैप्पलाद श‌खा के लोग किस राज्य में मिलते हैं ?

 

Video - Somyag 

 

Somyag

 

 

Video - Vastu Puja & Vastu Shanti Mantra 

 

Vastu Puja & Vastu Shanti Mantra

 

 

Video - नृसिंह कवच । चारों ओर से रक्षा के लिए 

 

नृसिंह कवच । चारों ओर से रक्षा के लिए

 

Copyright © 2023 | Vedadhara | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |
Vedahdara - Personalize